hindi poems

poem on feeling

#57 एहसास

लफ्जों का दौर बीत गया, रह गया एहसास, छोंड भविष्य की अविरल चिन्ता, और करिये इक एहसास । बिना धूल की धूप का, बिन पहिए की रोड का, बिना आफिस के बास का, करिये इक एहसास । बिना रेस्ट्राँ खानो का, बिना फास्टफूड दुकानों का, व बिना हाल हालातों का , करिये इक एहसास । […]

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Delhi Riots

#54 दिल्ली दंगा

काश्मीर से हटी क्या धारा तीन सौ सत्तर, भडकाकर लोगों को दिल्ली पर बरसा दिया पत्थर, जमाना बेबाक निष्ठुर ढंग से देखता रह गया, और जमाने ने जमाने को आइना दिखला दिया । घरौंदे जब आइने के बने होते हैं, शदियों से तहजीब जब कंधे ढोते हैं, संभल कर पग रखना होता है घर से

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poem on step

#12-एक कदम

दे दिया एक कदम दुनिया भर को, अगर है दम तो बढ के दिखा एक कदम, राहों में बिछ गयी राहें खुल गए कई चौराहे, निकाल ले तू अपने लिये नई राहे हर दम। दुनिया में थे जब चन्द्र शेखर भगत, लोग थे उनकी भी आलोचना करते, अरे छोडा न बापू महात्मा को भी, आज

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bakhani_hindi_poems

#11-एक तरकीब

मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे, हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे। राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब, साधो उडती भावनाओं को, है आसान तरकीब। राह जो दिखे आसान, यूँ ही न चल दो उस पर, सोंचो आने वाली दिक्कत को, हो जाओगे उस पार, काम करो

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khayali pulao

#9-खयाली पुलाव

खयाली पुलाव तो ऐसे पकते, जैसे बीरवल की खिचडी, मन में आई बात जो ठहरी, साफ दिखे हो खुली सी खिडकी। मन के उस एक झरोंखे से, निकले वो किरणें एक-एक कर, दिखे दिमाग पटल पर ऐसे, जैसे पर्दे पर प्रोजेक्टर। कहीं पुरानी याद हो ताजा, कई नए विचार भी आएं, कभी-कभी तो आए गुस्सा,

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