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Tag: hindi poems

#57 एहसास

लफ्जों का दौर बीत गया,
रह गया एहसास,
छोंड भविष्य की अविरल चिन्ता,
और करिये इक एहसास ।

बिना धूल की धूप का,
बिन पहिए की रोड का,
बिना आफिस के बास का,
करिये इक एहसास ।

बिना रेस्ट्राँ खानो का,
बिना फास्टफूड दुकानों का,
व बिना हाल हालातों का ,
करिये इक एहसास ।

माँ बाप के करीब बैठने का,
संग पत्नी खाना खाने का,
बच्चों की बोलियों का,
परिवार में कम होती दूरियों का,
करिये इक एहसास ।

संगी के साथ बीते पुराने लम्हों का,
बचपन की हुई सभी कुटाइयों का,
हर बात किये बहाने का,
बीते उस दौर जमाने का
करिये इक एहसास ।

माँ के नाजुक हाँथों का,
पिता से मिली लातों का,
माँ के बनाए खाने का
रात में कहानी बताने का,
करिये इक एहसास ।

दादा दादी का बने सहारों का,
पुराने टुटे छप्पर में बचपन के दीदारों का,
घर के सामने लगे हुए पेडों पर आम के घरौंदो का,
कूकती हुई कोयल व अन्य सुन्दर आवाजों का
करिये इक एहसास ।

दादा के साथ बाजार और शादियों में जाने की जिद करने का,
डाट खाने के बाद भी उनके कंधे बैठकर गांव गांव घूमने का,
वर्तमान में दौड भाग की जिन्दगी में अपनों को समय न देने
करिये इक एहसास ।

 


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एहसास

A hindi poem on feelings

Explanation of Hindi Poem on feelings,

This is a hindi poem expressing about the thoughts on feelings, written by Pt. Akhilesh Shukla.

This is also published to blogspot. Find more poems of Pandit Akhilesh Shukla by Clicking here—–>> CLICK HERE

#bakhani

hindi poem on feelings.

Therefore Read this Hindi poem on feeling explaining the thoughts about the warm touch. This poem is also available at googleblogspot the link mentioned above.

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#54 दिल्ली दंगा

काश्मीर से हटी क्या धारा तीन सौ सत्तर,
भडकाकर लोगों को दिल्ली पर बरसा दिया पत्थर,
जमाना बेबाक निष्ठुर ढंग से देखता रह गया,
और जमाने ने जमाने को आइना दिखला दिया ।

घरौंदे जब आइने के बने होते हैं,
शदियों से तहजीब जब कंधे ढोते हैं,
संभल कर पग रखना होता है घर से निकल कर,
जमाने को एक बार फिर जमाने नें बतला दिया ।

मशहूर है पत्थर को तबियत से उछाल कर देखो,
तो आसमां में भी सुराख हो सकता है,
देश जाने कब विकास की राह पर चला,
जमाने ने जमाने को ही सर-ए-आम झुठला दिया ।

 


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Explanation of Hindi poem on Delhi Riots

यह हिन्दी कविता एनआरसी और सीएए (NRC and CAA)  के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की व्याख्या करनें का एक प्रयास मात्र है । हिन्दी साहित्य के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में हुई पूर्व की घटनाओं और दिल्ली हिंसा के अन्तर्गत हुई हिंसाओं को एक तराजू में रख कर यदि देखा जाए तो बहुत सारी समानताएं देखनें को मिलती हैं । देश में किस प्रकार का माहौल बन रहा है या बनाया जा रहा है, अत्यन्त दुःखद है । Poem on Delhi #poem on nrc #Poem on caa hindi poems

A Hindi Poem on Delhi Riots

Find various hindi poems. This is a poem on delhi roits expressing thought for the time of oppose of caa and nrc and support of sahinbagh in delhi.

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#12-एक कदम

दे दिया एक कदम दुनिया भर को,
अगर है दम तो बढ के दिखा एक कदम,
राहों में बिछ गयी राहें खुल गए कई चौराहे,
निकाल ले तू अपने लिये नई राहे हर दम।

दुनिया में थे जब चन्द्र शेखर भगत,
लोग थे उनकी भी आलोचना करते,
अरे छोडा न बापू महात्मा को भी,
आज करते हैं पूजा जिनकी सभी।

करते हैं जिनकी सभी चरण बंदगी,
उस समय वो भी लडते दिखे,
देते दुनिया को बस बढ आगे एक कदम,
दुनिया चलती मिला कदम से कदम।

लोग दिखते हैं खीचते एक दूजे के कदम,
पर न मिलते दिखे कदम से कदम,
सामने कहते पीछे मुकर जाते अपने वादों से,
समाज सेवी है जो पीछे रहते कदम।

आज जरूरत है उनके आगे बढ आगे चलने की,
फिर क्यों है पीछे दुनिया में हम,
दिखा दो दुनिया के एक कदम से भी आगे,
बढने का है हम में पूरा दम।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


एक कदम- हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक संदेश देने का प्रयास किया गया है कि इस दुनिया को यदि एक कदम का इंतजार है तो वह दे दिया गया है अगर दुनिया में दम है उस कदम में कदम मिला कर आगे बढे।

Hindi Poem on step

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Hindi Kavita on step

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#11-एक तरकीब

मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे,
हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे।

राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब,
साधो उडती भावनाओं को, है आसान तरकीब।

राह जो दिखे आसान, यूँ ही न चल दो उस पर,
सोंचो आने वाली दिक्कत को, हो जाओगे उस पार,
काम करो जग में कुछ भी, पहले सोंचो उसे दस बार।

पहले यदि करो इतना, मिलेगी तुम्हें आसान राहें,
मोड कितनें आतें हैं राह में, हैं कितनें चौराहे।


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तरकीब हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। जिन्दगी की मंजिल कितनी भी सुस्पष्ट क्यों न हो पर राह इतनी भ्रमित होती है कि राह को बिना मुश्किलों के बिना दिक्कतों के पार कर पाना थोना असहज होता है। इस कविता के माध्यम से इसी बात पर प्रकाश डालनें का प्रयास किया गया है।

Hindi Poem on tarkeeb

Poem on tarkeeb in hindi

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#9-खयाली पुलाव

खयाली पुलाव तो ऐसे पकते,
जैसे बीरवल की खिचडी,
मन में आई बात जो ठहरी,
साफ दिखे हो खुली सी खिडकी।

मन के उस एक झरोंखे से,
निकले वो किरणें एक-एक कर,
दिखे दिमाग पटल पर ऐसे,
जैसे पर्दे पर प्रोजेक्टर।

कहीं पुरानी याद हो ताजा,
कई नए विचार भी आएं,
कभी-कभी तो आए गुस्सा,
पल भर में दिल खुश हो जाए।

पल भर में इक दुःख की लहर सी,
दौड सनसनी फैला जाए,
फिर कुछ ऐसा हो जाए,
कि मन कुछ समझ न पाए।

जैसे ही कुछ अच्छा होता,
बन्द हो जाती किस्मत की खिडकी,
खट आंखे खुलती तब दिखता,
खयाली पुलाव बीरबल की खिचडी।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


(Khayali Pulao)

https://www.youtube.com/watch?v=fKHwVE0o8JE

खयाली पुलाव – एक हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। किसी भी खयाल में जीना कितना आसान है। और उससे भी ज्यादा आसान है उन खयालों का ताना बाना बुनना। खयालों को जब भी अमल में लाने का प्रयास किया जाता है, वास्तविक रूप मेहनत का समझ में आता है।

Hindi Poem on Khayali pulao

Poem on khayali pulao in hindi

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