#59 नाद

#59 नाद

  • Apr 10, 2020

प्रेयसी के कंगन, भौरों की गुंजन, कोयलों की कुंजन, खिला हुआ उपवन, हर्षित हुआ ये मन, नदियों की कल-कल, बच्चों की चहल-पहल, वृक्षों का फल, सुर-सरि का बहता हुआ, संगम का ये जल, पूछ रहा स्वर में आज…. क्या ये तेरा ही नाद है । भावों का स्पन्दन, बुद्धजीवियों का अवनमन, लघुता की निर्लज्ज पहल, […]

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#58 पलायन

#58 पलायन

  • Apr 07, 2020

पलायन आशियाना संभालनें, आशियाना छोंड कर निकले, फैली महामारी ऐसी कि, आशियाने की ओर निकले । जिस विज्ञान का गुरूथ था, मेहनत का शुरूर था, व्यवस्था हो गई ऐसी, कि सब नंगे पैर निकले । दो वक्त की रोटी व्यवस्थित, थे व्यवस्थित दिन कार्य, पर हालात ऐसे बन गए, कि अब भूखे पेट निकले । […]

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