अरे ओ आई.टी. डेवलपर देश के !
कर दो डेवलप ऐप नया,
चौगुनी हो जाए खुशहाली,
बिना पटाखोंं बिना शोर के
प्रकृति सुरक्षित हो दीवाली।
सुप्रीमकोर्ट का फैसला है,
पटाखे शोर बहुत करते हैं,
प्रकृति प्रदूषण फैलाते हैंं,
लोग घायल होनें से नहीं डरते हैं,
प्रकृति बचाओ देश बचाओ,
बचाओ घर घर का पैसा,
त्योहार और परम्परा का भला,
सम्बन्ध इक दूजे का कैसा,
माटी के दिये बनाने को
कुम्भकार खनन करते हैंं,
मत जलाओ दिये तेल से,
सीओटू छोंडा करते हैं,
बन्द करो क्या परम्परा है,
देश माथ चढी है कंगाली.
बस मुख से बोलो हैप्पी दीवाली ।
मत इतने सब दिये जलाना,
ध्यान रहे भारत का न ताप बढाना,
गर्मी से कहीं दियों के भारत के,
कोई ग्लेशियर पिघल न जाए,
विश्व में प्रकृति विनाश का,
भारत माध्यम बन न जाए,
याद रखना हिन्द देश के वासी,
त्राहि त्राहि जल कूट मची है,
नद कूट खनन सब सीमान्त बची हैंं,
छोडोंं बातें संस्कृति परम्परा की,
बस फैलाओ चहुँओर खुशहाली,
मित्र सत्रु सब व्यंग से बोलो- हैप्पी दीवाली ।
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Poem on Diwali in hindi the festival of lights. It is a satire hindi poem on Diwali or Dipawali expressing the mirror to the society …….