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Month: October 2019

#48 दीवाली

अरे ओ आई.टी. डेवलपर देश के !

कर दो डेवलप ऐप नया,
चौगुनी हो जाए खुशहाली,
बिना पटाखोंं बिना शोर के
प्रकृति सुरक्षित हो दीवाली।

सुप्रीमकोर्ट का फैसला है,
पटाखे शोर बहुत करते हैं,
प्रकृति प्रदूषण फैलाते हैंं,
लोग घायल होनें से नहीं डरते हैं,
प्रकृति बचाओ देश बचाओ,
बचाओ घर घर का पैसा,
त्योहार और परम्परा का भला,
सम्बन्ध इक दूजे का कैसा,

माटी के दिये बनाने को
कुम्भकार खनन करते हैंं,
मत जलाओ दिये तेल से,
सीओटू छोंडा करते हैं,
बन्द करो क्या परम्परा है,
देश माथ चढी है कंगाली.
बस मुख से बोलो हैप्पी दीवाली ।

मत इतने सब दिये जलाना,
ध्यान रहे भारत का न ताप बढाना,
गर्मी से कहीं दियों के भारत के,
कोई ग्लेशियर पिघल न जाए,
विश्व में प्रकृति विनाश का,
भारत माध्यम बन न जाए,
याद रखना हिन्द देश के वासी,
त्राहि त्राहि जल कूट मची है,
नद कूट खनन सब सीमान्त बची हैंं,
छोडोंं बातें संस्कृति परम्परा की,
बस फैलाओ चहुँओर खुशहाली,
मित्र सत्रु सब व्यंग से बोलो- हैप्पी दीवाली ।


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Poem on Diwali festival

आज दीवाली के अवसर पर मेरा सम्बोधन देश के आई टी प्रोफेशनल्स के लिये

Poem on Diwali in hindi the festival of lights. It is a satire hindi poem on Diwali or Dipawali expressing the mirror to the society …….

Poem on Diwali festival

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#47 कटी पतंग सी कहानी मेरी

कटी पतंग सी कहानी मेरी!
न ठौर है न ठिकाना रुकने का,
हवा के झोंके से इधर-उधर हो जाए,
बीत गए बचपन के वो दिन,
देखते भटकते बीतती जवानी मेरी,
कटी पतंग सी कहानी मेरी ।

हवा का रुख अख्तियार किए,
अपनाए अपनी अच्छी बुरी किस्मत को,
ढूंढते हुए यूँ हि मन की चाह अपनी,
भटकते भटकते बीतती जवानी मेरी,
कटी पतंग सी कहानी मेरी ।

हर मोड में राह के मिलती यूँ ठोकर,
खुदा नें दी रंजिश खुद की जिन्दगानी से,
जिन्दगी की रंजिश में खुद को पीसता हुआ,
हर बात अटकती बखानी मेरी,
कटी पतंग सी कहानी मेरी ।


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This hindi kavita contains the mirror image to the life with real life experience. Hindi poems are in the form of MUKTAK, Which may follow the ras, chhand, alankaar and matra rool or may not be.

Poem on life

A poem on life is the real experience and feelings in the society. This poem express the life as a mirror image about experience.

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#46 पुष्प और मोहब्बत

पुष्प पर बेरहमी दिखा कर,
चल दिये इश्क का इजहार करने,
कम्बख्त इश्क बरकरार रखने को,
चल दिये पु्ष्प बेकार करनें ।
क्या कभी तूनें कहीं पर,
बेरहमी से प्यार पाया है,
पुष्प पर बेरहमी दिखा कर,
क्यों किसी से प्यार जताया है।
जो पुष्प सी नाजुक प्रकृति पर,
यूंँ बेरहमी दिखाएगा,
सोंच कैसे लिया तुमनें,
तुमसे दरिया दिली दिखाएगा ।

 


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#45 आओ चलें प्रकृति की ओर–>


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Poem on Love and flower

आज के समय में प्यार का इजहार करनें को प्रकृति की सुन्दरता को प्रदत्त हरियाली और सुन्दरता का प्रतीक पुष्प की बलि चढाना आम बात हो गई है । पुष्पों का प्रयोग जीवन के हर पहलू में किया जाता है। सायद ही कोई ऐसा क्षण बचा हो कि बिना पुष्प के जीवन का कोई कार्य  हो पाए । इसी पर आधारित यह हिन्दी कविता है जो यह दर्शाती है कि वह व्यक्ति जो अपने प्यार का इजहार करनें के लिए पुष्प पर ऐसी बेरहमी दिखाता है वह भला प्यार को कैसे निभा पाएगा। 

Hindi Poem on Love and Flower

Poem on love and flower is an expression of thoughts about how we use the flower to express love in life which shows cruel nature of human. Read this Hindi poem expressing the thoughts.

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