#59 नाद
प्रेयसी के कंगन, भौरों की गुंजन, कोयलों की कुंजन, खिला हुआ उपवन, हर्षित हुआ ये मन, नदियों की कल-कल, बच्चों की चहल-पहल, वृक्षों का फल, सुर-सरि का बहता हुआ, संगम का ये जल, पूछ रहा स्वर में आज…. क्या ये तेरा ही नाद है । भावों का स्पन्दन, बुद्धजीवियों का अवनमन, लघुता की निर्लज्ज पहल, […]