Word pyramid

Word pyramid pattern of hindi poem

कविता की पिरामिड विधा (Word pyramid pattern of hindi poem and its rule) पढनें और देखनें दोनो में ही अद्भुत दृश्य व अनुभव का संचार करती है। एक भाव पूर्ण हिंदी कविता इस विधा में वर्ण या शब्दों के आधार पर निर्धारित होता है। इस विधा में निम्न बातें ध्यान में रखी जाती हैं-

Rule of word pyramid poem in hindi

  1. इस विधा में पिरामिड रचना तैयार करते समय या तो वर्णों का प्रयोग किया जाता है या फिर शब्दों का
  2. प्रारम्भ प्रथम पंक्ति में एक वर्ण या एक शब्द से किया जाता है,
  3. द्वितीय पंक्ति में दो वर्ण या दो शब्द होते हैं,
  4. इसी प्रकार तृतीय चतुर्थ व अन्य पंक्तियों में वर्णों या शब्दों की संख्या बढती जाती है
  5. पिरामि़ड रचना को दो प्रकार से पूर्ण किया जाता है
    1. आरोह क्रम के खण्ड के साथ
    2. आरोह क्रम के पश्चात अवरोह क्रम भी जोड कर
  6. एक निश्चित किये हुए लक्ष्य वर्ण या शब्द संख्या तक लिखनें के बाद या तो एक नया खण्ड तैयार कर किया जाता है या फिर आरोह पूर्ण होने पर अवरोह क्रम रखते हुए पुनः एक वर्ण या एक शब्द में ला कर खण्ड का अन्त किया जाता है
  7. इस प्रकार से कुल रचना में एक या एक से अधिक खण्डों का समायोजन कर रचना पूर्ण की जाती है
  8. रचना में यदि की पंक्ति विशेष को भी पढा जाए तो अपने आप में पूर्ण पंक्ति का आभास होना चाहिए
  9. रचना यदि पूर्ण रूप से पढी जाए तो पूरी रचना में तारतम्य टूटना नहीं चाहिए।
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बुंदेलखंड की गाथा- कविता की पिरामिड विधा

ये जो है दिखता फैला यहाँ बुंदेल खंड गढ़ता दरश कहानियां अखंड सुनने को मिलती है गौरव  गाथा  चौ तरफा आज़ादी  की  पहली लड़ाई हिला डाला उन गोरों को फैली चौतरफा ऐसे चपल दौड़े जैसे पूरा देश एक बुंदेलखंड अगुवाई करता जग की। ये झाँसी की रानी लोहा लेती सुनी कहानी है लहू खौलता सुन […]

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#62 मैं चुप हूँ (Word Pyramid)

word pyramid poem in hindi मैं आज यहाँ से कहता हूँ अकसर ही चुप रहता हूं पर देख जमाना अब हक़ न जताना छोड़ मुझे मेरे हाल में अकेले है समय बिताना बीते पल संग जहाँ के याद वही करता हूँ कहीं लगे न दोष फ़ैलाने से रोष मैं आज यहाँ डरता हूँ चुप हूँ

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करो उद्धार (Word pyramid)

करो उद्धार ओ मेरे किशन कन्हाई रे जग में सब पाले अहंकार भूले प्रेम दुलार करो हे प्रभु उद्धार। हे राम जहाँ में हर ओर रावण आज मचाये उत्पात हो रावण संहार करो हे प्रभु उद्धार। हे भोले भंडारी नीलकंठ दुष्ट संहारी संकट है भरी अधर्म को संहार करो हे प्रभु उद्धार। हे शक्ति स्वरूपा

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