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Polling Bakhani
Polling Bakhani Hindi Poem
दौड़ रही है साइकिल,
हांथी भी टक्कर में आगे है,
रेस में कहीं पंजा दिखता,
कमल भी सरपट भागे है,
देखना है जनमत की इस,
कुर्सी में किसकी थाती है,
देखना है आखिर में किसकी,
कितनी चौड़ी छाती है,
एक एक मत जन मानस का,
कैद हुआ है कल* में आज,
जनमत संग्रह उसका है,
मतदाता जिसका साथी है।
(* यहाँ कल का तात्पर्य मशीन है, इसके अतिरिक्त कल भविष्य को भी इंगित करता है ।)
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Author

jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।

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