#39-कवि

#39-कवि

  • Apr 09, 2019

शब्दों को पिरोना और गूंथ देना एक माले की तरह । आसां नहीं है इस जग में,यूं शब्दों से छेंड-छांड करना,अनर्गल सी लगती हैं बातें तुरन्त,महंगा पड जाता है यूँ खिलवाड करना,शब्दों से खेलता है कवि ऐसे,फूल गूथते एक माली की तरह,बडा ही आसां लगता है उसे,शब्दों को पिरोना और गूथ देना एक माले की […]

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