#39-कवि
शब्दों को पिरोना और गूंथ देना एक माले की तरह । आसां नहीं है इस जग में,यूं शब्दों से छेंड-छांड करना,अनर्गल सी लगती हैं बातें तुरन्त,महंगा पड जाता है यूँ खिलवाड करना,शब्दों से खेलता है कवि ऐसे,फूल गूथते एक माली की तरह,बडा ही आसां लगता है उसे,शब्दों को पिरोना और गूथ देना एक माले की […]