ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं।
हरियाली मैं तुझे संजोऊँ।
पीढी दर पीढी घटती जाए,
मूढ कहे तू काम न आए,
वो अज्ञानी तुझे मिटाए,
अकेला समझाऊँ समझ न आए,
मत बिसरो ऐ दुनिया,
यही हरियाली प्राण बचाए।
काट-काट हरियाली इस जग में,
मत पहुंचाओ प्रकृति नुकशान,
सब एक साथ मिलकर यह बोलो,
हाँथ बढाऊँ तुझे बचाऊँ,
हरियाली मैं तुझे संजोऊँ,
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूँ।
न मानोगे तो बात इक सुन लो,
विनाश भविष्य का होगा,
बच्चों के बच्चे पूछेंगे,
ऐ तात् यह प्रकृति क्या थी,
जो सब कहते थे क्या वो सुनती थी,
जब जिद वो करेंगे हरियाली हमें दिखाओ,
उस पल के लिए इस पल में,
हरियाली मैं तुझे संजोऊँ,
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूँ।
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