Skip to content

BAKHANI Posts

#6-क्या मुझे हक़ नहीं?

ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है?
क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में,
क्यों आखिर किसी हुद – हुद  का डर यूँ सता रहा है,
क्या मुझे चैन से सांस लेने का हक़ नहीं?
समेटें हैं मैंने विविध रंग अपने आगोश में,
विविधता में एकता की एक मिशाल हूँ विश्व में,
क्या मुझे चैन से जीने का हक़ नहीं?
मुझे बाहर से जितना डर  है वह काम है,
भीतर ही भीतर खा रहे  दीमक की तरह मुझे,
नोंच रहे हैं गिद्धों की तरह जिश्म को मेरे,
क्या मुझे स्वातंत्र्य का हक़ नहीं?
कभी राजनीती तो कभी धर्म के नाम,
यूँ ही कर रहे वस्त्रहरण खुलेआम,
अंग प्रदर्शन की दौड़ में मुझे भी कर दिया है सामिल इन्होंने ,
क्या मुझे स्वच्छंद रहने का हक़ नहीं?
कहाँ सो गए ऐ बेटो मैं चुप हूँ पर रो रही हूँ,
दिखावे की इस दुनिया नें ताना  है तमंचा मेरे सीने में,
कहते हैं मत रो लुटाती रह आबरू खुद की,
क्या मुझे रोने का हक़ नहीं?
 आखिर कब मेरे ये बेटे उठेंगे,
कब मेरी ललकार सुनेंगे ,
न जाने वो कब कहेंगे-
“अब यूँ ही ललकार देश के इन कर्णों में गूंज रही,
भारत माता हम बेटों में आन-बान सब ढूंढ़ रही।“



<<-#5 विज्ञान एक अभिशाप

सम्पूर्ण कविता सूची

#7 अरमान ->>


Hindi Poem on rights of india

Poem on rights of india in hindi

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

(Deshbhakti poem in hindi- Do I not DESERVE?)

poem on rights of india explains kya mujhe haq nahi. This deshbhakti poem in hindi is call by INDIA as Mother to her son asking about rights.

#bakhani

#hindi poems
#deshbhakti poems in hindi
#deshbhakti kavita
#hindi kavita

1 Comment

#5-विज्ञान – एक अभिशाप

दुनिया में रहनें वालों ने,
मौत की सेज सजाई,

प्रतिदिन यह सेज सुन लो,
लेती है अंगड़ाई।

प्रति छण प्रति मानव,
करे मौत से लड़ाई,

दुनिया में रहनें वालों नें,
मौत की सेज सजाई।

एक तरफ इस सेज में सुनलो,
मानव करे आराम,

पर पल आता है ऐसा,
सब हो जाए हराम,

सभी जानते हैं इसे,
यह नहीं है गुमनाम,

विज्ञान नाम है इसका,
मानव दिमाग है लाई ,

दुनिया में रहनें वालों नें,
मौत की सेज सजाई।

 

 


<<- #4 क्या हम आजाद हैं

सम्पूर्ण कविता सूची

#6 क्या मुझे हक नहीं ->>


Poem on science on youtube

https://youtu.be/0pYkdvSioBQ

 

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Explanation of Poem on science

This hindi kavita, explains the science as a helpful and also a harmful object to the word in the sense of use. Science in real life is used science awaking to sleeping and also after sleeping. In each and every moment of life, we all always depends on science for any movement. We take science as a cup of tea of coffee. Without science we do not think our life. We always dependent to the science.

#bakhani
#hindi poems on science

#hindi poems

(Poem on Science: A Curse)

This is a Hindi poem on science a curse. विज्ञान एक अभिशाप पर हिन्दी कविता . How invention of science are working as curse for human.

Poem on science as a curse-

11 Comments

#4-क्या-हम-आजाद-हैं

Are we Independent: kya ham aazad hai

देश हुआ आजाद aazad हुए अब,
हो गए हैं दिन इतने,

जो सच पूछो तो दिल से बोलो,
आजाद रहे तुम दिन कितने,

पहले था अंग्रेज का शासन,
कर लगता था जीवन पर भी,

अब देखो रजनीति का दलदल,
जिसने भी तो हद कर दी,

वो जो थे डराते थे,
ले जाते थे यूं लूट कर हमें,

ये भी कुछ कम नहीं उनसे,
लूटते हैं फुसलाकर हमें।

कर लेते हैं हमारे विकास के नाम,
सच देखो कितना विकास है,

सच में विकास उनका ही है,
पास में उनके धन बेहिसाब है,

पन्द्रह अगस्त छब्बीस जनवरी,
दो अक्टूबर बस याद उन्हें,

इसके पहले बाद में इसके,
भूल हम भी सब कुछ जाते,

आजाद हैं हम-देश आजाद है,
दुनिया को हम यह जताते।

मन की बात कहो कैसे तुम,
इस पर भी पाबंदी है,

अनसन धरना की जिसने सोंची,
तुरंत ही वह बंदी है,

इतने वो बुद्धजीवी हैं वहाँ पर,
नहीं किसी की सोंच सुनें,

भूल भी जाओ ए देश वासी,
अब मत गिनों की दिन कितने,

देश हुआ आजाद हुए अब,
हो गए हैं दिन इतने।


सम्पूर्ण हिन्दी कविता


Hindi poem on freedom ham aazad hai in youtube

https://www.youtube.com/watch?v=QQZ_gMLHsEE

originally published - http://bakhani.com/hindipoems/ham-aazad-hai/

Deshbhakti poem of freedom – aazad in hindi

This poem on freedom is A deshbhakti poems in hindi explains the actual thought about the independence and independent poeple in india as kya ham aazad hai.

#bakhani
#hindi poems

#deshbhakti poems in hindi

aazad


<<- #3 बखानी परिचय

सम्पूर्ण कविता सूची

#5 विज्ञान एक अभिशाप ->>


Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

2 Comments

#3-बखानी-एक परिचय

Bakhani Introduction

Bakhani बखानी संग्रह उन बातों का,
जिन बातों को सब जानते हैं,
अच्छा बुरा पहचानते हैं,
फिर भी बातें नहीं मानते हैं।

सुननेे में अच्छी लगती हैं,
अनुसरण करनें को लगती हैं,
पर देख जमाना करते हैं,
दिल की करनें में डरते हैं।

डरते हैं “वो क्या कहेंगे”,
अपने दिल की कब करेंगे
मान के अपने दिल की देखो,
लोग “मिशाल” बतलाते हैं।

साफ स्वच्छ यह आइना है,
सब सम्मुख ही दिखलाता है,
करी शरारत या कोई गलती,
शर-ए-आम बतलाता है।

यदि चाहोगे आगे बढना,
खुली राह दिखलाता है,
यह मनचित्र का संग्रह है,
बखानी जीवन तथ्यों का संग्रह है।

https://youtu.be/A5KZ5RSSVos

An Introduction to Bakhani

Bakhani is the collection of those things,
Which are known very well by every one,
Understand the right and the wrong,
Even though do not follow the things.

Attractive in listening,
Looks like to follow,
but do as the World want,
Have fear to do as thinking.

Have fear what the World will say,
when will do of think,
do as really think,
“Ideal” the world will say.

Its a clean and clear mirror,
Every thing shows in front,
did any mistake,
It said openly.

If want to go forward,
shows the way openly,
It is the collection of Think-paint,
Bakhani is the collection of Facts of Life.

Originally published - http://bakhani.com/hindipoems/bakhani-introduction/

#bakhani

#hindi poems


4 क्या हम आजाद हैं->>

सम्पूर्ण कविता सूची

<<-#2 मन अशान्त पक्षी का कलरव


Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

(Bakhani: An Introduction)

As the name explains there is no need of introduction of Bakhani, a collection of hindi poems. Life explains with the mirror and shaddow.

2 Comments

#2-मन अशांत पक्षी का कलरव।

Mind मन अशांत पक्षी का कलरव।
पतझड़ फैला फूला शेमल,
हलचल फैली फुदक गिलहरी,

कोयल कूके गीत सुहाना,
देख अचंभित प्रकृति का रव ,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

फूल सुशोभित भांति वृक्ष में,
मृदु सुगंध फैली चौतरफा,

खुले तले इस नील गगन के,
भ्रमर भटक पर पाए न रव,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

जीत हार दिल की सब बातें,
चंचल मन बस भटके यूँ ही,

कभी भटक कर आसमान पर,
कभी स्थिर जैसे कोई शव,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

विचलित मन बस खोज में भटके,
भटके खोजे शांति – संतुष्टि,

भटके तांडव शंकर खेलें,
मटके-अटके जैसे भैरव,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

Follow Instruction

Go downward and give rating for the hindi kavita and share your comment.


#3 बखानी एक परिचय->>

सम्पूर्ण कविता सूची

<<-#1 माँ 


Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

(Hindi Poems on Man (Mind) Ashant Pakshi Ka Kalrav)

This hindi poem on man (Mind) as turbulent bird expresses the speed of mind in the world. Find hindi poem on mind.

Explanation of hindi poem on mind:-

This hindi kavita on man (Mind) expresses the thoughts about the turbulent mind. The turbulent mind is one getting the speed which can never controlled and measured. Mind is a word expressing the thoughts. Every weather every moment of life contains various natural events. The natural event like this increase the speed of mind and the way of thinking.

source:- http://bakhani.com/mypoems/un-calmed-bird/

#bakhani

hindi poem on man

#hindi kavita on mind

Leave a Comment

Get 30% off your first purchase

X