देश हुआ आजाद हुए अब,
हो गए हैं दिन इतने,
जो सच पूछो तो दिल से बोलो,
आजाद रहे तुम दिन कितने,
पहले था अंग्रेज का शासन,
कर लगता था जीवन पर भी,
अब देखो रजनीति का दलदल,
जिसने भी तो हद कर दी,
वो जो थे डराते थे,
ले जाते थे यूं लूट कर हमें,
ये भी कुछ कम नहीं उनसे,
लूटते हैं फुसलाकर हमें।
कर लेते हैं हमारे विकास के नाम,
सच देखो कितना विकास है,
सच में विकास उनका ही है,
पास में उनके धन बेहिसाब है,
पन्द्रह अगस्त छब्बीस जनवरी,
दो अक्टूबर बस याद उन्हें,
इसके पहले बाद में इसके,
भूल हम भी सब कुछ जाते,
आजाद हैं हम-देश आजाद है,
दुनिया को हम यह जताते।
मन की बात कहो कैसे तुम,
इस पर भी पाबंदी है,
अनसन धरना की जिसने सोंची,
तुरंत ही वह बंदी है,
इतने वो बुद्धजीवी हैं वहाँ पर,
नहीं किसी की सोंच सुनें,
भूल भी जाओ ए देश वासी,
अब मत गिनों की दिन कितने,
देश हुआ आजाद हुए अब,
हो गए हैं दिन इतने।
सम्पूर्ण हिन्दी कविता
Hindi poem on freedom in youtube
originally published - http://bakhani.com/hindipoems/ham-aazad-hai/
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