मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे,
हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे।
राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब,
साधो उडती भावनाओं को, है आसान तरकीब।
राह जो दिखे आसान, यूँ ही न चल दो उस पर,
सोंचो आने वाली दिक्कत को, हो जाओगे उस पार,
काम करो जग में कुछ भी, पहले सोंचो उसे दस बार।
पहले यदि करो इतना, मिलेगी तुम्हें आसान राहें,
मोड कितनें आतें हैं राह में, हैं कितनें चौराहे।
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तरकीब हिंदी कविता
इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। जिन्दगी की मंजिल कितनी भी सुस्पष्ट क्यों न हो पर राह इतनी भ्रमित होती है कि राह को बिना मुश्किलों के बिना दिक्कतों के पार कर पाना थोना असहज होता है। इस कविता के माध्यम से इसी बात पर प्रकाश डालनें का प्रयास किया गया है।
Hindi Poem on tarkeeb
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