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BAKHANI Posts

#11-एक तरकीब

मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे,
हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे।

राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब,
साधो उडती भावनाओं को, है आसान तरकीब।

राह जो दिखे आसान, यूँ ही न चल दो उस पर,
सोंचो आने वाली दिक्कत को, हो जाओगे उस पार,
काम करो जग में कुछ भी, पहले सोंचो उसे दस बार।

पहले यदि करो इतना, मिलेगी तुम्हें आसान राहें,
मोड कितनें आतें हैं राह में, हैं कितनें चौराहे।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


तरकीब हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। जिन्दगी की मंजिल कितनी भी सुस्पष्ट क्यों न हो पर राह इतनी भ्रमित होती है कि राह को बिना मुश्किलों के बिना दिक्कतों के पार कर पाना थोना असहज होता है। इस कविता के माध्यम से इसी बात पर प्रकाश डालनें का प्रयास किया गया है।

Hindi Poem on tarkeeb

Poem on tarkeeb in hindi

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#10-शरद बखानी

पानी सरपत से सरकत जाए रे।
ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे,
पानी सरपत से सरकत जाए रे।

दूर तलक देखो कोई आश नहींं है,
सूखा सा पडा है कोई घास नहीं है,
मन से मैं बोलूं तो विश्वास नहीं है,
शरद की ये वारिस से मन थिरकत जाए रे,
पानी सरपत से सरकत जाए रे।

हर तरफ देखो अब दिखेगी हरियाली,
शरद की वारिस से दौडेगी खुशहाली,
देश में फिर सब आशंक मुक्त होंगे,पर
देश का बच्चा बच्चा शनकत जाए रे,
पानी सरपत से सरकत जाए रे।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


(Sharad Bakhani)

हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से सूखे के बाद पडनें वाले शरद ऋतु का वर्णन किया गया है। शरद ऋतु में सरपत की झाड में पडनें वाली वर्षा की बूदों से एवं उनमें से छू कर निकलनें वाली हवाओं से जो ठण्डक का एहसास होता है वह पूरे शरीर में शिहरन पैदा कर देता है। शरीर का रोम रोम कांप उठता है।

एक तो सूखे के मंजर को देखते हुए जो कप कपी देने वाले एहसास को महसूस किया गया था उसमें यह शिहरन बहुत ही आराम पहुंचाने वाली है।

Hindi Poem on sharad bakhani

Poem on sharad bakhani a poem of nature in hindi

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#9-खयाली पुलाव

खयाली पुलाव तो ऐसे पकते,
जैसे बीरवल की खिचडी,
मन में आई बात जो ठहरी,
साफ दिखे हो खुली सी खिडकी।

मन के उस एक झरोंखे से,
निकले वो किरणें एक-एक कर,
दिखे दिमाग पटल पर ऐसे,
जैसे पर्दे पर प्रोजेक्टर।

कहीं पुरानी याद हो ताजा,
कई नए विचार भी आएं,
कभी-कभी तो आए गुस्सा,
पल भर में दिल खुश हो जाए।

पल भर में इक दुःख की लहर सी,
दौड सनसनी फैला जाए,
फिर कुछ ऐसा हो जाए,
कि मन कुछ समझ न पाए।

जैसे ही कुछ अच्छा होता,
बन्द हो जाती किस्मत की खिडकी,
खट आंखे खुलती तब दिखता,
खयाली पुलाव बीरबल की खिचडी।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


(Khayali Pulao)

https://www.youtube.com/watch?v=fKHwVE0o8JE

खयाली पुलाव – एक हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। किसी भी खयाल में जीना कितना आसान है। और उससे भी ज्यादा आसान है उन खयालों का ताना बाना बुनना। खयालों को जब भी अमल में लाने का प्रयास किया जाता है, वास्तविक रूप मेहनत का समझ में आता है।

Hindi Poem on Khayali pulao

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#8-स्वार्थ

घात लगाए बैठा है, इससे तू बच के रहना,
हावी हो जाएगा तुझ पर, किसी धोखे में तू न रहना,
सचेत किए देता हूँ अभी से, फिर किसी से न कहना,
घात लगाए बैठा है, इससे तू बच के रहना।

इससे तू बच के रहना, तुझ पर हावी हो जाएगा,
दब जाेगा नीचे तू, कुछ नहीं कर पाएगा,
तू दुनिया में कुछ भी करना, पर न करना स्वारथ,

सबसे चूकना पर न चूकना, करनें से परस्वारथ,
मुख से विष न निकले तेरे, बन्द न हो अमृत बहना,
घात लगाए बैठा है, स्वारथ से तू बच के रहना।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


(Selfishness)

स्वार्थ हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। जिन्दगी की स्वार्थ जिस प्रकार से एक रुकावट की तरह कार्य करता है उससे निपटने के लिए निःस्वार्थ भाव से आशक्तों की मदद करना ही परम सेवा धर्म होता है। श्रीकृष्ण भगवान नें भी गीता में कहा है कि व्यक्ति को निःस्वार्थ भाव से अपने कर्म को करना चाहिए कभी भी फल की इच्छा से किया गया कार्य निःस्वार्थ भाव का नहीं हो सकता है।

Hindi Poem on selfishness

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#bakhani
#hindi poems

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#7- अरमान

हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे,
रह गए इतने पीछे हम वक़्त,
बेवक़्त  कदम मिलाने को भागे तो थे।
बिछड़ जाने के डर नें जकड रखा था,
डर से निकलनें को यूँ क्या करता अकेला,
जीत दिल के डर को भांप कर,
समन्दर के उथले किनारों को झांके तो थे।
समन्दर की लहरों में ताकत वो थी,
जीतनें को उस डर से भीगे तो थे।
राहों में यूँ बढ़ कर पीछे रह गए,
दिल में अरमान संग चलनें के थे,
कोशते हैं खुद को हम पीछे,
तुम बस थोडा आगे तो थे।
हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आनें के अरमान जागे तो थे।

#bakhani
#hindi poems

 


<<–#6 क्या मुझे हक नहीं ?

सम्पूर्ण कविता सूची

#8 स्वार्थ ->>


Explanation of the poem on desire

This hindi kavita on desire express the thoughts to stay and move with partner while he or she is just a step ahead.

 

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(Desires)

Poem on Desire in Hindi

poem on desire in hindi or Armaan is a poem expressing the thoughts. अरमान दिल की तमन्ना को व्यक्त करती एक हिन्दी कविता है –
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