#6-क्या मुझे हक़ नहीं?
- Mar 07, 2017
ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है? क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में, क्यों आखिर किसी हुद – हुद का डर यूँ सता रहा है, क्या मुझे चैन से सांस लेने का हक़ नहीं? मैं फैली हूँ उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक, समेटें हैं मैंने विविध रंग अपने आगोश […]
Read More#5-विज्ञान – एक अभिशाप
- Mar 07, 2017
दुनिया में रहनें वालों ने, मौत की सेज सजाई, प्रतिदिन यह सेज सुन लो, लेती है अंगड़ाई। प्रति छण प्रति मानव, करे मौत से लड़ाई, दुनिया में रहनें वालों नें, मौत की सेज सजाई। एक तरफ इस सेज में सुनलो, मानव करे आराम, पर पल आता है ऐसा, सब हो जाए हराम, सभी जानते हैं […]
Read More#4-क्या-हम-आजाद-हैं
- Feb 27, 2017
Are we Independent: kya ham aazad hai देश हुआ आजाद aazad हुए अब, हो गए हैं दिन इतने, जो सच पूछो तो दिल से बोलो, आजाद रहे तुम दिन कितने, पहले था अंग्रेज का शासन, कर लगता था जीवन पर भी, अब देखो रजनीति का दलदल, जिसने भी तो हद कर दी, वो जो थे […]
Read More#3-बखानी-एक परिचय
- Feb 27, 2017
Bakhani Introduction Bakhani बखानी संग्रह उन बातों का, जिन बातों को सब जानते हैं, अच्छा बुरा पहचानते हैं, फिर भी बातें नहीं मानते हैं। सुननेे में अच्छी लगती हैं, अनुसरण करनें को लगती हैं, पर देख जमाना करते हैं, दिल की करनें में डरते हैं। डरते हैं “वो क्या कहेंगे”, अपने दिल की कब करेंगे […]
Read More#2-मन अशांत पक्षी का कलरव।
- Feb 27, 2017
Mind मन अशांत पक्षी का कलरव। पतझड़ फैला फूला शेमल, हलचल फैली फुदक गिलहरी, कोयल कूके गीत सुहाना, देख अचंभित प्रकृति का रव , मन अशांत पक्षी का कलरव। फूल सुशोभित भांति वृक्ष में, मृदु सुगंध फैली चौतरफा, खुले तले इस नील गगन के, भ्रमर भटक पर पाए न रव, मन अशांत पक्षी का कलरव। […]
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