Menu

mother
maa beta

#22-ओ माँ

CONTENT MISSING

SOME PROBLEM OCCUR WITH THIS PAGE COME BACK LATER…..

तुझे मेरी हर पल जो चिन्ता रहती है,
आंखो के नीचे की सुर्ख झुर्रियां कुछ कहती हैं,
इक शान्त निश्छल आश की धारा बहती है,
क्या मैं कर दूँ कुछ मुझे आता नहीं,
ओ माँ।……

Total Page Visits: 1502 - Today Page Visits: 1

Leave a Reply

jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।
×
×

Cart