#41-सुहाना सावन

poem on savan for nature

भौरों की होती गुंजार यहां, 
चिडियो की चहक निराली है,
सूरज की चमक भी मद्दम है, 
छाई घनघोर छटा निराली है,
पुष्पों की महक चिडियों की चहक, 
भौरों का गुंजार सूरज का चमकता हार,
मनमोहक दिल लुभावनी छटा,
आनन्दमई शीतल प्रकृति निराली है ।
भौरों की होती……

हर पल प्रकृति में खोया अकेला,
प्रकृति की छटा विलोकता,
चिडिया माण्डुलिया खेलती हैं,
झींगुर झनन-झनन झन्नाता,
सावन की पहली वरषा के बाद,
पेडों की चमक निराली है ।
भौरों की होती …….

कोयल की कूक से गूंजता ये नभ,
प्रकृति की छटा है कितनी दुर्लभ,
बीजों से निकला अंकुर देखो,
देखो पेडों से निकलती नई शाख,
पेड के पत्तों में छाई लालिमां,
लगे जैसे पेडों में पडे रंगीन रोशनी,
सूखे के बाद का वो मंजर,
पर अब की छटा निराली है ।
भौरों की होती ……..

 


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem

Poem on savan 

 

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- 

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Like and subscribe Youtube Chanel 

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Poem on Nature and weather of savan

Poem on savan is a hindi poem expressing the explanation of weather of savan when birds marms and bhaura also sings a song alos nature sings

is a hindi poem expressing the explanation of weather of savan when birds marms and bhaura also sings a song alos nature sings

Total Page Visits: 1985 - Today Page Visits: 2

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Get 30% off your first purchase

X