#48 दीवाली

अरे ओ आई.टी. डेवलपर देश के !

कर दो डेवलप ऐप नया,
चौगुनी हो जाए खुशहाली,
बिना पटाखोंं बिना शोर के
प्रकृति सुरक्षित हो दीवाली।

सुप्रीमकोर्ट का फैसला है,
पटाखे शोर बहुत करते हैं,
प्रकृति प्रदूषण फैलाते हैंं,
लोग घायल होनें से नहीं डरते हैं,
प्रकृति बचाओ देश बचाओ,
बचाओ घर घर का पैसा,
त्योहार और परम्परा का भला,
सम्बन्ध इक दूजे का कैसा,

माटी के दिये बनाने को
कुम्भकार खनन करते हैंं,
मत जलाओ दिये तेल से,
सीओटू छोंडा करते हैं,
बन्द करो क्या परम्परा है,
देश माथ चढी है कंगाली.
बस मुख से बोलो हैप्पी दीवाली ।

मत इतने सब दिये जलाना,
ध्यान रहे भारत का न ताप बढाना,
गर्मी से कहीं दियों के भारत के,
कोई ग्लेशियर पिघल न जाए,
विश्व में प्रकृति विनाश का,
भारत माध्यम बन न जाए,
याद रखना हिन्द देश के वासी,
त्राहि त्राहि जल कूट मची है,
नद कूट खनन सब सीमान्त बची हैंं,
छोडोंं बातें संस्कृति परम्परा की,
बस फैलाओ चहुँओर खुशहाली,
मित्र सत्रु सब व्यंग से बोलो- हैप्पी दीवाली ।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Facebook page link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita Like and

Youtube chanel link

subscribe Youtube Chanel Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Poem on Diwali festival

आज दीवाली के अवसर पर मेरा सम्बोधन देश के आई टी प्रोफेशनल्स के लिये

Poem on Diwali in hindi the festival of lights. It is a satire hindi poem on Diwali or Dipawali expressing the mirror to the society …….

Poem on Diwali festival

Total Page Visits: 3124 - Today Page Visits: 1

Leave a Reply

This Post Has One Comment

  1. Ananya

    Happy Diwali . A very good hindi kavita

jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।
×
×

Cart