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Category: hindi poems

a Hindi poems written in hindi means hindi kavita.

#62 मैं चुप हूँ (Word Pyramid)

word pyramid poem in hindi

मैं
आज
यहाँ से
कहता हूँ
अकसर ही
चुप रहता हूं
पर देख जमाना
अब हक़ न जताना
छोड़ मुझे मेरे हाल में
अकेले है समय बिताना
बीते पल संग जहाँ के
याद वही करता हूँ
कहीं लगे न दोष
फ़ैलाने से रोष
मैं आज यहाँ
डरता हूँ
चुप हूँ
आज
मैं।

मैं
चुप
हूँ ऐसे
लगे जैसे
कहता जग
मत ऐसे भग
सुन ले कान खोल
कर विचार जग में
खुलती हर और पोल
सुन कहती यह दुनिया
मगन जग विचरता
आखिर कैसे डरता
सुन बातें जहाँ की
मगन जहाँ में
गुंजार शांत
जैसे भौरा
ऐसे हूँ
चुप
मैं।

विवरण शब्द पिरामिड (Word pyramid)

एक ऐसी रचना जिसमें शब्दों की संख्या एक एक कर बढती है। शब्दों की गणना की जाती है न कि मात्रा की। संयुक्ताक्षर को एक शब्द माना जाता है। लघु एवं दीर्घ शब्द का अन्तर नहीं पडता अर्थात मात्रा भार का असर नहीं मात्र शब्द गणना की जाती है। प्रत्येक पंक्ति अपनी पूर्ववर्ती पंक्ति से एक अधिक शब्द के साथ होती है। इस प्रकार वर्ड पिरामिड की रचना की जाती है।


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word pyramid par hindi kavita

 

Hindi Poem on word pyramid

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करो उद्धार (Word pyramid)

करो उद्धार


मेरे
किशन
कन्हाई रे
जग में सब
पाले अहंकार
भूले प्रेम दुलार
करो हे प्रभु उद्धार।
हे
राम
जहाँ में
हर ओर
रावण आज
मचाये उत्पात
हो रावण संहार
करो हे प्रभु उद्धार।
हे
भोले
भंडारी
नीलकंठ
दुष्ट संहारी
संकट है भरी
अधर्म को संहार
करो हे प्रभु उद्धार।
हे
शक्ति
स्वरूपा
माता दुर्गा
तेरे भक्तो पे
है संकट भरी
धर रूप विकराल
करो हे माता उद्धार।

विवरण शब्द पिरामिड (Word pyramid)

एक ऐसी रचना जिसमें शब्दों की संख्या एक एक कर बढती है। शब्दों की गणना की जाती है न कि मात्रा की। संयुक्ताक्षर को एक शब्द माना जाता है। लघु एवं दीर्घ शब्द का अन्तर नहीं पडता अर्थात मात्रा भार का असर नहीं मात्र शब्द गणना की जाती है। प्रत्येक पंक्ति अपनी पूर्ववर्ती पंक्ति से एक अधिक शब्द के साथ होती है। इस प्रकार वर्ड पिरामिड की रचना की जाती है। इस वर्ड पिरामिड में एक से लेकर आठ तक शब्द समूह को बाढाया गया है एवं इस प्रकार कुल चार खण्ड में रचना लिखी गई है।

शब्द पिरामिड रचना का प्रथम प्रयास। प्रत्येक खण्ड में शब्द संग्रह 1 से ले कर 8 तक।


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#60 कोरोना से क्या सीखे हम ?

जब से जग में कोरोना महामारी आई,

सारे जग में खूब तबाही मचाई,
जन जन त्रस्त घरों में कैद,
कोरोना वारियर्स लडने को मुस्तैद,
हर हाल जन जन लड रहा है,
रह दूर अपने नित्य जीवन से,
अपने घरों में रह रहा है ।

सल्यूट कोरोना वारियर्स को,
तज घर परिवार ड्यूटी अपनी कर रहे हैं,
सारे जग की चिन्ता उनको,
निज जीवन को नहीं डर रहे हैं,
कोरोना दुश्मन नहीं ऐसा जिसे मजहब से बैर,
जन जो जद में आया या आ जाए,
नहीं समझो उसकी खैर ।

इतना आगे निकल जो आए,
जग सकल दृढ संदेशा पहुंचाएं,
कोरोना को हारना ही होगा,
अपने लिए अपने परिवार के लिए,
अपने देश के लिए अपने संसार के लिए,
कर बल छल चाहे जैसे सबको मिलकर,
कोरोना को मारना ही होगा ।

रह इतने दिन घरों में,
सबने कुछ तो सोंचा होगा,
क्या करना था क्या करते थे,
यह सब तो सोंचा होगा,
भाग दौड भरी जिंदगी में,
किसको नुकसान पहुंचा रहे थे पर,
जब जग खुलेगा क्या करना कैसे करना ये तो सोंचा होगा !

गावों से इतर शहर शहर में,
कितना गन्दा कर रखा था प्रकृति को,
आज एकान्त पाकर प्रकृति नें,
जन जन को बतलाया है दिखलाया है,
दावे कितना भी हम कर लें,
स्वच्छ प्रकृति हम कर लेंगे पर,
प्रकृति की ऐसी शुद्धता जीवन में सायद ही देखी होगी ।

हवा स्वच्छ और स्वच्छ नीर है,
रज नद कूट वृक्ष प्रकृति का जंजीर है,
निज स्वारथ हम जन मानस,
जंजीर को हर दम तोड रहे थे,
परे जीवन के सच्चे मूल्यों से,
सब पैसों में हम तोल रहे थे,
पर अब भी हम जन मानस ने जीवन मूल्य क्या समझा होगा !

है जीत की बखानी यह,

इक दिन सारा संसार खुलेगा,
मंदिर के पट खुलेंगे चर्च व मस्जिद खुलेंगे,
खुलेगा गुरुद्वारा इस जग में रब का हर दरवार खुलेगा,
मन की आस्था मन में जिंदा है,
जिंदा है आदर सम्मान की भाषा,
इस जग में जिंदा है इंसान की यही परिभाषा ।

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Hindi poems What we learn with corona virus.It is an infection disease WHO (World health Organization  named COVID 19. Besides What we learn with corona a hindi poems expressing the thoughts.


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#59 नाद

प्रेयसी के कंगन, भौरों की गुंजन,
कोयलों की कुंजन, खिला हुआ उपवन,
हर्षित हुआ ये मन, नदियों की कल-कल,
बच्चों की चहल-पहल, वृक्षों का फल,
सुर-सरि का बहता हुआ, संगम का ये जल,
पूछ रहा स्वर में आज….
क्या ये तेरा ही नाद है ।

भावों का स्पन्दन, बुद्धजीवियों का अवनमन,
लघुता की निर्लज्ज पहल, होता अपने आप सफल,
मानवता की दुर्भिक्ष आग, चेहरों में लिपटा लिबास,
उजड़े चमन का यह पराग, कामिनियों का वीतराग,
भैरवी का रचित स्वांग, जड़ता का यह मूल नाश,
इंसानों में उत्पन्न विषाद, पूछ रहा है स्वर में आज,
क्या ये तेरा ही नाद है ।

होंठ में सुरा, पीठ में छूरा,
धूंधली हुयी तस्वीर, फीकी पड़ी लकीर,
नीरस हुआ यह मन, पतझड़ भरा बसन्त,
दुर्भिक्ष सा ये काल, अकाल बना ब्याल,
अनाथ हुए बच्चें, बुझता हुआ चिराग,
चीखती विधवा विलाप, श्मशान की ये आग,
बता रहा प्रतिपल तुझे, काग का ये स्वर,
हाँ ! ये तेरा ही नाद है ।

मिट गया अकाल, बुझ गया मसान,
सिंचित हुआ ये वन, महकती उपवन,
निर्बल हुए सबल, मेहनत का मिला फल,
बोल उठे कंगन, चहक उठी आंगन,
नूपूर आज बज रहा, प्रणय-मिलन हो रहा,
पतंग आज उड़ चली, बयार बहने लगी,
बादल उमड़ने लगा, द्रुति गर्जना करने लगा,
उनमुक्त स्वर में आज फिर, प्रकृति पूछने लगी….
क्या ये तेरा ही नाद है ।

स्वपन से परे, नींद से भरें,
अकिंचन सा खड़ा मैं, रूदन भरें गलें,
कंपित शरीर से, सहसा मैं बोल पड़ा…….
हां ये मेरा ही नाद है ।
हाँ ! ये मेरा ही नाद है ।

HINDI POEM NAAD

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#58 पलायन

पलायन

आशियाना संभालनें,
आशियाना छोंड कर निकले,
फैली महामारी ऐसी कि,
आशियाने की ओर निकले ।
जिस विज्ञान का गुरूथ था,
मेहनत का शुरूर था,
व्यवस्था हो गई ऐसी,
कि सब नंगे पैर निकले ।
दो वक्त की रोटी व्यवस्थित,
थे व्यवस्थित दिन कार्य,
पर हालात ऐसे बन गए,
कि अब भूखे पेट निकले ।
बस राह में सब चल दिए,
तज मौत का हर खौफ अब,
महामारी न छुए सायद,
प्राण भूखे पेट निकले ।

गांव बडी दूर नंगे पांव है जाना,
फैली महामारी तबाह सब कर रही,
जिये या मरें कोई गम नहीं न सोंचा कभी,
मन में बस इक सोंच अपनों के पास है जाना ।
भूखे पेट हैं तो क्या तो क्या नहीं वाहन,
प्रतिज्ञा की है दृढ राहों में लाख मिले पाहन,
आशियाना संवारने तज आशियाना निकले थे,
इस विपत भरी घरी में कुटुम्ब को है जाना ।

 


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Hindi Poem on Palayan During Corona pendamic.

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Explanation-

This Hindi poem is expressing the thoughts about the palayan during the corona pandemic in 2020, as the picture or vision shows that all the workers away from their home want to return to their home. The logic is behind is that Villege may be unemployed but not hungery.

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