बेरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।
राजस्व वसूली अच्छी खासी
सिस्टम में यह चूक है,
रोजगार स्वरोजगार छलावा
हार जीत की दो टूक है,
पढा लिखा से अऩपढ अच्छा,
मेहनत करता हलधऱ अच्छा,
पढ लिख कर कलम है पकडी
असमंजस क्या बुरा क्या अच्छा,
हांथ सफाई मन बहलाई
सब राजनीति सिखाती है,
देख के रंग गिरगिट जैसा
लगता सच्चा जादू टोना है,
बोरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।
बातें बडी भाषण में दिखती
मन विश्वास कर जाता है,
सच्चा झूठा कुछ समझ न आता,
हांथ कुछ नहीं लग पाता है,
वोट वसूली कर जब गद्दी पाते हैं
बातें वायदे सब भूल जाते हैं,
कुछ न कर बस इक दूजे की,
व सिस्टम की कमी बताते हैं,
पर फिर भी अपनी उपलब्धि को
बार बार गिनाते हैं,
व लालीपाप सा दिखलाकर जग में,
पकडाते कच्चा खिलौना हैं,
बोरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।
क्यों लचर व्यवस्था को दोष देते
व्यवस्था आखिर किसकी है,
जिस सिस्टम की गुहार लगाते
जिम्मेदारी किसकी है
क्यों नीति नहीं नेतृत्व नहीं,
हर हाल युवा बेहाल है,
अपनी पाती मेज ठोंक कर मनवाते,
खुद बने जाते मालामाल है,
गोल मुट्ठा हांथ में रख कर
युवा को पकडाते तलवार तिकोना है,
आखिर संभल कर क्यों नहीं समझते,
यह कृत्य बडा घिनौना है,
बोरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।
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