Home hindi poems #32-मंजिल क्या है
hindi poems

#32-मंजिल क्या है

ऐ पवन ! ठहर जरा,
बता तेरी मंजिल क्या है?
क्या तू कभी सोंचता है,
तेरे भाग्य लिखा क्या है?

ऐ सूरज! तू ठहर जरा,
क्यों बार-बार गुजरता है
तेरी मंजिल कहां छुपी है
क्या सच तुझको पता है
क्यों जग रोशन करता है
तू बता तेरी मंजिल क्या है

ऐ भौंरे रुक जा यहीं पर
क्यों हर पुष्प से आलिंगन करता है
क्या तूनें अपनी मंजिल नहीं चुनी है
सब कहते हैं सबकी मंजिल है,
ऐ भौंरे तू बता, तेरी मंजिल क्या है


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem on manzil

Poem on manzil in hindi

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Kavita on manzil

Kavita on manzil in hindi

एक कहावत है कि इस दुनिया में जो कुछ भी है सबका रास्ता व मंजिल नियति के द्वारा पूर्व में ही तय है। प्रकृति की प्रकृति कभी एक संशय उत्पन्न कर देती है। उद्येश्य तो ठीक है कभी कभी समझ में आ जाता है परन्तु मंजिल तो समझ में ही नहीं आती। अपने इसी संदेह को दूर करनें के लिए प्रकृति से ही पूछे गये प्रश्नों की एक कडी है परन्तु ये प्रश्न निरुत्तर हैं । परन्तु इन्ही प्रश्नों के उत्तर से ही दुनिया में जीवन्त समस्त सजीव व निर्जीव की महत्ता का बोध होता है। एक सच्चा ज्ञान का प्रकाश मिलता है।

Total Page Visits: 3460 - Today Page Visits: 1

Author

jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Get 30% off your first purchase

X