ऐ पवन ! ठहर जरा,
बता तेरी मंजिल क्या है?
क्या तू कभी सोंचता है,
तेरे भाग्य लिखा क्या है?
ऐ सूरज! तू ठहर जरा,
क्यों बार-बार गुजरता है
तेरी मंजिल कहां छुपी है
क्या सच तुझको पता है
क्यों जग रोशन करता है
तू बता तेरी मंजिल क्या है
ऐ भौंरे रुक जा यहीं पर
क्यों हर पुष्प से आलिंगन करता है
क्या तूनें अपनी मंजिल नहीं चुनी है
सब कहते हैं सबकी मंजिल है,
ऐ भौंरे तू बता, तेरी मंजिल क्या है
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Hindi Poem on manzil
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Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita
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Kavita on manzil in hindi
एक कहावत है कि इस दुनिया में जो कुछ भी है सबका रास्ता व मंजिल नियति के द्वारा पूर्व में ही तय है। प्रकृति की प्रकृति कभी एक संशय उत्पन्न कर देती है। उद्येश्य तो ठीक है कभी कभी समझ में आ जाता है परन्तु मंजिल तो समझ में ही नहीं आती। अपने इसी संदेह को दूर करनें के लिए प्रकृति से ही पूछे गये प्रश्नों की एक कडी है परन्तु ये प्रश्न निरुत्तर हैं । परन्तु इन्ही प्रश्नों के उत्तर से ही दुनिया में जीवन्त समस्त सजीव व निर्जीव की महत्ता का बोध होता है। एक सच्चा ज्ञान का प्रकाश मिलता है।