#45-आओ चलें प्रकृति की ओर

आओ चलें प्रकृति की ओर।करें दोस्ती इस प्रकृति से, बनें सुदृढ और बनें निरोग,शील बन्द और प्लास्टिक बोतल, करना बंद करें प्रयोग,देह हमारी खुद ही सक्षम, लड लेगी उन रोगों…

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#44-हिन्दी में भी जीवन दिखता है

वर्तमान जो मैं अगर देखूँ ,तो हिंदी में भी जीवन दिखता है,भविष्य को सोचता हुँ  जानो,पश्चिम का आगम दिखता है,यूँ दिखती है हिंदी गर्त में आगे,बहन भी इससे ऊँची दिखती,राजनीतिक स्तर  अब तय कर रहा,देख हिंदी…

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#43-कानून और मजबूरी

भाई गड्ढे से बाहर बाद में आना। पहले बिना हेलमेट गाडी, चलाने का चुकाओ जुर्माना,सडक में हैं ढेर गड्ढे, तो भला हम क्या करें,जुर्माने से बचनें का कोई, नहीं चलेगा…

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#42-हैलो!

हैलो हैलो कह कर के,दुनिया में सबसे पिछे थे,अब बोलो बोलो कह कर के, दुनिया को पीछे छोड रहे ।बन बुधिया कभी मिल्खा, कभी सचिन रिकार्ड तोड रहे,कभी बन कर…

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poem on savan for nature
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#41-सुहाना सावन

भौरों की होती गुंजार यहां, चिडियो की चहक निराली है,सूरज की चमक भी मद्दम है, छाई घनघोर छटा निराली है,पुष्पों की महक चिडियों की चहक, भौरों का गुंजार सूरज का चमकता हार,मनमोहक दिल…

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