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#15-हमारी आश

राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है। जमाने के शिले नें हमें यूँ हि भटकता छोड दिया, दो वक्त की रोटी को यूँ हि तरसता छोड दिया,…

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#14-क्यों न लगें बोझ बेटियाँ

माँ बाप की लाडली बेटी, समझदार जब थोडी होती, दुनियादारी बोझ सर ले, दुनिया को कंधों पे ढोती, आज का ये समाज सातिर, खुल के नहीं जीने देता, ढाई आखर…

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#13-ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं

ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं। हरियाली मैं तुझे संजोऊँ। पीढी दर पीढी घटती जाए, मूढ कहे तू काम न आए, वो अज्ञानी तुझे मिटाए, अकेला समझाऊँ समझ न आए, मत…

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#12-एक कदम

दे दिया एक कदम दुनिया भर को, अगर है दम तो बढ के दिखा एक कदम, राहों में बिछ गयी राहें खुल गए कई चौराहे, निकाल ले तू अपने लिये…

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Bakhani Hindi Poems

#11-एक तरकीब

मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे, हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे। राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब, साधो उडती भावनाओं को,…

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