#9-खयाली पुलाव

#9-खयाली पुलाव

  • Mar 07, 2017

खयाली पुलाव तो ऐसे पकते, जैसे बीरवल की खिचडी, मन में आई बात जो ठहरी, साफ दिखे हो खुली सी खिडकी। मन के उस एक झरोंखे से, निकले वो किरणें एक-एक कर, दिखे दिमाग पटल पर ऐसे, जैसे पर्दे पर प्रोजेक्टर। कहीं पुरानी याद हो ताजा, कई नए विचार भी आएं, कभी-कभी तो आए गुस्सा, […]

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#8-स्वार्थ

#8-स्वार्थ

  • Mar 07, 2017

घात लगाए बैठा है, इससे तू बच के रहना, हावी हो जाएगा तुझ पर, किसी धोखे में तू न रहना, सचेत किए देता हूँ अभी से, फिर किसी से न कहना, घात लगाए बैठा है, इससे तू बच के रहना। इससे तू बच के रहना, तुझ पर हावी हो जाएगा, दब जाेगा नीचे तू, कुछ […]

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#7- अरमान

#7- अरमान

  • Mar 07, 2017

हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे, बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे, रह गए इतने पीछे हम वक़्त, बेवक़्त  कदम मिलाने को भागे तो थे। बिछड़ जाने के डर नें जकड रखा था, डर से निकलनें को यूँ क्या करता अकेला, जीत दिल के डर को भांप कर, समन्दर के […]

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#6-क्या मुझे हक़ नहीं?

ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है? क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में, क्यों आखिर किसी हुद – हुद  का डर यूँ सता रहा है, क्या मुझे चैन से सांस लेने का हक़ नहीं? मैं फैली हूँ उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक, समेटें हैं मैंने विविध रंग अपने आगोश […]

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#5-विज्ञान – एक अभिशाप

दुनिया में रहनें वालों ने, मौत की सेज सजाई, प्रतिदिन यह सेज सुन लो, लेती है अंगड़ाई। प्रति छण प्रति मानव, करे मौत से लड़ाई, दुनिया में रहनें वालों नें, मौत की सेज सजाई। एक तरफ इस सेज में सुनलो, मानव करे आराम, पर पल आता है ऐसा, सब हो जाए हराम, सभी जानते हैं […]

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