poem on hindustan

#4-क्या-हम-आजाद-हैं

Are we Independent: kya ham aazad hai

देश हुआ आजाद aazad हुए अब,
हो गए हैं दिन इतने,

जो सच पूछो तो दिल से बोलो,
आजाद रहे तुम दिन कितने,

पहले था अंग्रेज का शासन,
कर लगता था जीवन पर भी,

अब देखो रजनीति का दलदल,
जिसने भी तो हद कर दी,

वो जो थे डराते थे,
ले जाते थे यूं लूट कर हमें,

ये भी कुछ कम नहीं उनसे,
लूटते हैं फुसलाकर हमें।

कर लेते हैं हमारे विकास के नाम,
सच देखो कितना विकास है,

सच में विकास उनका ही है,
पास में उनके धन बेहिसाब है,

पन्द्रह अगस्त छब्बीस जनवरी,
दो अक्टूबर बस याद उन्हें,

इसके पहले बाद में इसके,
भूल हम भी सब कुछ जाते,

आजाद हैं हम-देश आजाद है,
दुनिया को हम यह जताते।

मन की बात कहो कैसे तुम,
इस पर भी पाबंदी है,

अनसन धरना की जिसने सोंची,
तुरंत ही वह बंदी है,

इतने वो बुद्धजीवी हैं वहाँ पर,
नहीं किसी की सोंच सुनें,

भूल भी जाओ ए देश वासी,
अब मत गिनों की दिन कितने,

देश हुआ आजाद हुए अब,
हो गए हैं दिन इतने।


सम्पूर्ण हिन्दी कविता


Hindi poem on freedom ham aazad hai in youtube

originally published - http://bakhani.com/hindipoems/ham-aazad-hai/

Deshbhakti poem of freedom – aazad in hindi

This poem on freedom is A deshbhakti poems in hindi explains the actual thought about the independence and independent poeple in india as kya ham aazad hai.

#bakhani
#hindi poems

#deshbhakti poems in hindi

aazad


<<- #3 बखानी परिचय

सम्पूर्ण कविता सूची

#5 विज्ञान एक अभिशाप ->>


Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Total Page Visits: 4180 - Today Page Visits: 2

2 thoughts on “#4-क्या-हम-आजाद-हैं”

  1. Pingback: #5-विज्ञान – एक अभिशाप – BAKHANI

  2. Pingback: Introduction to Bakhani a collection of hindi poem | BAKHANI

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *