Maa मा बोले बेटे से :-
उठ बेटा दुनिया देख,
दुनिया देख रही तुझको,
मत जा ज्यादा दूर मा से,
ममता कह रही तुझको ।
बात-बात मे गुस्सा करके,
बेटा युं तेवर दिखलाये,
ममता से यू ओत-प्रोत मां,
ममता के जेवर पहनाये ।
चंद पंक्ती की तालीम पा कर,
बेटे माओ को ठुकाराये,
मा तो वह ही जो सबसे पहले,
उंगली थाम चलना सिखलाये ।
प्रथम पाठशाला की शिक्षा,
बेटे यू ही भूल जाये,
पर मा है वह एक जो,
कदम-कदम पर थमना सिखालये ।
याद करो बचपन ऐ बेटो,
मा के आन्चल मे छुप जाते,
करी शरारत या फिर गलती,
तोतली बानी मा को बतलाते ।
ममता की आन्चल से ढक कर,
मा यू ही दुनिया से लड जाती,
दुनिय मे काले साये से बचने को,
जन्म से काला टीका लगाति ।
आज के बेटे दुनिय की चका- चौन्ध मे,
मा से यू हि लड जाते,
फिर थोडा सा झटका लगने से,
यू ठोकर खा कर गिर जाते ।
तब भी मा बेटे से यह ही कहती है :-
उठ बेटा दुनिय देख,
दुनिया देख रही तुझको,
मत जा ज्यादा दूर मा से,
ममता कह रही तुझको ।
#2 मन अशान्त पक्षी का कलरव–>>
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