मन का लहरी सज संवर कर,
स्वच्छन्द जहां विचरण करता,
सार्वभौम जो सत्य जहां पर,
जाने कौन कब कैसे तरता,
चलते फिरते खडे खडे यूं,
बातों बातों अन्तिम मंजिल आ जाती,
जीत पलों को उस छण में फिर,
काहे सोंचता क्या करता क्या न करता,
मन का लहरी सज संवर कर,
स्वच्छन्द जहां विचरण करता।
कर कर्म जहां पर सुविचार संग,
परोपकार की मंसा रख कर,
स्वारथ पहलू सिक्का है दूजा,
प्रतिपल प्रतिक्षण परस्वारथ कर,
ईश्वर भी सब देख रहा है,
मन को ऐसा विश्वास दिला कर,
नेक कर्म से नेक भाव से,
क्यों न अपना घट पुण्य से भरता।
जब चिडिया चुग जाती खेत,
जग पछताता आहें भरता,
दूध का जला फूंक कदम रख,
छाछ मुख लगाने से डरता,
तज माया ऊपर वाले पर,
निःस्वारथ बस करम जग करता,
मन का लहरी सज संवर कर,
स्वच्छन्द जहां विचरण करता।
–>सम्पूर्ण कविता सूची<–
Poem on Heart
Facebook page link
बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita Like and
Youtube chanel link
subscribe Youtube Chanel Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम
Explanation of Hindi poem on Mind
यह हिन्दी कविता जो दिल और दिमाग की व्यथा की व्याख्या करने का प्रयास करती है । #Hindi poem on heart #poem on mind #heart listener
A hindi poem on heart and mind
A hindi poem on heart and heart-listener expressing the thought how HEART and mind want to travel fearless. Therefor enjoy the hindi poem bellow.
Be First to Comment