हंसते रहो तो तुम अच्छे
जो बोल दिया तो जग रूठेगा
चुप सहते रहो तो तुम अच्छे,
कुछ बोल दिया तो जग रूठेगा।
सत्य राह चलो कितना भी तुम,
मूक बने सहो कितना भी,
सह कर अपना अपमान जग में,
दूजों का सम्मान करो कितना भी,
अच्छे नहीं तुम गंदे हो जो,
मुख से आह बोल दिया,
इंसाफ के तराजू से खुद को
और उनको जो तोल दिया,
तोल दिया हर पल जो तुमनें,
जान लो जग रूठेगा,
जग रूठेगा साथ छूटेगा,
दुनिया में आशा और विश्वास टूटेगा,
गर दिखाया चेहरा उदास शान्त,
तो उन्नत का आश टूटेगा।
हंसते रहो तो तुम अच्छे,
जो बोल दिया तो जग रूठेगा।
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शांत तो अच्छे एक हिंदी कविता
इस हिंदी कविता के माध्यम से मनुष्य की प्रकृति की व्याख्या करनें का एक प्रयास किया गया है। यदि किसी की बातें सुन कर अनसुनी कर दो तो तुम अच्छे हो पर वही बात अगर किसी ऐसे व्यक्ति से कह दो जो बातों को अनसुनी नहीं करता या फिर ये कहें कि तारतम्य नहीं बैठाता तो उसके लिए आप बुरे ही नहीं बहुत बुरे बन जाते हो।
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