कटी पतंग सी कहानी मेरी! न ठौर है न ठिकाना रुकने का, हवा के झोंके से इधर-उधर हो जाए, बीत गए बचपन के वो दिन, देखते भटकते बीतती जवानी मेरी, कटी पतंग सी कहानी मेरी । हवा का रुख अख्तियार किए, अपनाए अपनी अच्छी बुरी किस्मत को, ढूंढते हुए यूँ हि मन की चाह अपनी, […]

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#46 पुष्प और मोहब्बत

पुष्प पर बेरहमी दिखा कर, चल दिये इश्क का इजहार करने, कम्बख्त इश्क बरकरार रखने को, चल दिये पु्ष्प बेकार करनें । क्या कभी तूनें कहीं पर, बेरहमी से प्यार पाया है, पुष्प पर बेरहमी दिखा कर, क्यों किसी से प्यार जताया है। जो पुष्प सी नाजुक प्रकृति पर, यूंँ बेरहमी दिखाएगा, सोंच कैसे लिया […]

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#45-आओ चलें प्रकृति की ओर

आओ चलें प्रकृति की ओर।करें दोस्ती इस प्रकृति से, बनें सुदृढ और बनें निरोग,शील बन्द और प्लास्टिक बोतल, करना बंद करें प्रयोग,देह हमारी खुद ही सक्षम, लड लेगी उन रोगों से नित,औषधि रसायन खाद्य रसायन पेय रसायन से दूरी बन,प्रकृति सुहानी राह निहारे, बन सक्षम पकडें वह डोर,आओ चलें प्रकृति की ओर। प्रकृति हमारी राह […]

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#44-हिन्दी में भी जीवन दिखता है

वर्तमान जो मैं अगर देखूँ ,तो हिंदी में भी जीवन दिखता है,भविष्य को सोचता हुँ  जानो,पश्चिम का आगम दिखता है,यूँ दिखती है हिंदी गर्त में आगे,बहन भी इससे ऊँची दिखती,राजनीतिक स्तर  अब तय कर रहा,देख हिंदी सुबकती-सुसकती,झांक कर देखो अपना भूत ऐ दोस्तों,भाषा विकास क्रम दिखता है,जाने किस दिशा में यूँ विकास क्रम चल रहा,निश्चित उज्जवल भविष्य में अंधकार दिखता है,वर्तमान जो मैं अगर […]

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#43-कानून और मजबूरी

भाई गड्ढे से बाहर बाद में आना। पहले बिना हेलमेट गाडी, चलाने का चुकाओ जुर्माना,सडक में हैं ढेर गड्ढे, तो भला हम क्या करें,जुर्माने से बचनें का कोई, नहीं चलेगा कोई बहाना । सडक निर्माण कार्य नहीं, हमारे अधीन फिर भी,बदहाल सडक की बात, बाद में सरकार को बताना । सुननें का नहीं अधिकार, हमें […]

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