#10-शरद बखानी
पानी सरपत से सरकत जाए रे। ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे, पानी सरपत से सरकत जाए रे। दूर तलक देखो कोई आश नहींं है, सूखा सा पडा है…
पानी सरपत से सरकत जाए रे। ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे, पानी सरपत से सरकत जाए रे। दूर तलक देखो कोई आश नहींं है, सूखा सा पडा है…
खयाली पुलाव तो ऐसे पकते, जैसे बीरवल की खिचडी, मन में आई बात जो ठहरी, साफ दिखे हो खुली सी खिडकी। मन के उस एक झरोंखे से, निकले वो किरणें…
घात लगाए बैठा है, इससे तू बच के रहना, हावी हो जाएगा तुझ पर, किसी धोखे में तू न रहना, सचेत किए देता हूँ अभी से, फिर किसी से न…
हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे, बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे, रह गए इतने पीछे हम वक़्त, बेवक़्त कदम मिलाने को भागे तो थे।…
ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है? क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में, क्यों आखिर किसी हुद – हुद का डर यूँ सता रहा है,…