#22-ओ माँ
CONTENT MISSING SOME PROBLEM OCCUR WITH THIS PAGE COME BACK LATER..... तुझे मेरी हर पल जो चिन्ता रहती है, आंखो के नीचे की सुर्ख झुर्रियां कुछ कहती हैं, इक शान्त…
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निकला था अलि भ्रमर में, अंजानें मंजिल की खोज, दिल में आश लगाए भटके, मन में मंजिल पानें की सोंच, राह भटकते रात हुई वह, लौट पडे निज गृह को…
निर्बल दुर्बल खेतिहारी पर,सूखे की मार भारी है,पकी फसल पर वारिस पत्थर,और भी प्रलयंकारी है।वह झूल रहा है फंदो से,रब रूठ गया है बंदो से,ऐ रब अब तू सुन ले…
इतिहास के पन्नों तक सिमट कर रह जाएगी यह होली। रंगो की वह होली अब फीकी फीकी सी है, सहमी इंसानियत हर पल दूजे से, न पता किधर से रोष…
सुन गौरैया वर्षों पहले मेरा आंगन महकाती थी, मेरा बचपन फुदक तेरे संग, उछल कूद सिखाती थी, डालूं दाना आंगन में जितने, तू आ के चुंग जाती थी, मेरे…