Menu

#44-हिन्दी में भी जीवन दिखता है

वर्तमान जो मैं अगर देखूँ ,तो हिंदी में भी जीवन दिखता है,भविष्य को सोचता हुँ  जानो,पश्चिम का आगम दिखता है,यूँ दिखती है हिंदी गर्त में आगे,बहन भी इससे ऊँची दिखती,राजनीतिक स्तर  अब तय कर रहा,देख हिंदी…

2 Comments

#39-कवि

शब्दों को पिरोना और गूंथ देना एक माले की तरह । आसां नहीं है इस जग में,यूं शब्दों से छेंड-छांड करना,अनर्गल सी लगती हैं बातें तुरन्त,महंगा पड जाता है यूँ…

1 Comment
×
×

Cart