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Tag: india

#56 भारत और कोरोना के खिलाफ जंग

जग आश लगाए देख रहा,
सायद कोई इक राह मिले,
जनता कर्फ्यू व लाकडाउन से,
कोरोना से सब बच निकले,
पर हम उन्मत्त चूर नशे में,
क्यों भला कोई अपील सुनें,
तुम क्या कहते जग क्या कहता,
चाहे ऐसे कितनें प्रश्न मिलें।

अनुशासन सायद न सीखा,
न कदर करें अनुशासन की,
बात को जरा हम ही न सुनें,
और गलती सारी प्रशासन की,
किसमें हिम्मत जो फरमान सुनाए,
क्या करना ये हमें बताए,
मर्जी अपनी अब मरना है,
जरूरत क्यों हमें सुधरना है,
परिवार की भला खुद क्यों सोंचे,
करे जिसको जो करना है,
आज खाली सडक जो मिली,
सायद ऐसी फिर न मिले।

राजनीति हर रोम में बसी,
वर्दी की कदर नहीं,
क्या क्या संग में हो सकता,
है सायद इसकी खबर नहीं,
उन्मत्त नशे में चूर जायजा-
लेने घर से निकल पडे,
कुछ मजबूर को छोड कर,
सायद यह अवसर फिर न मिले।

 


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Explanation about the hindi poem on corona

This hindi poem on epidemic express the thought about the fight against covid.

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India Fighting Corona – A hindi poem

Hindi poem on corona, Covid19 a apidimic caused with corona virus. India is fighting corona with corona warriors and trying to escape.

 

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#49 ऐसा अपना हिन्दुस्तान

फन फैलाए खडा पाक है,
ड्रैगन लेवै ऊंची उडान,
बाहर भीतर से फैला डर,
फिर भी ऊंचा सर देखो शान,
पक्ष विपक्ष हाहाकार हरदम,
हर नेक काज के बुरे बखान,
मार पडे चाहे चोंट पडे,
न दिखे चिन्ता का कोई निशान,
प्रगति पथ पर काबिज है,
ऐसा अपना हिन्दुस्तान।

बापू चाचा आजाद गुरू,
सब मिल बनाया देश महान,
देश के जुुगाड से देखो,
नहीं रहा है विश्व अंजान,
हर बहकावे में आ जाए,
भोली भाली जनता नादान,
जिन्हे चुना है देश हितैषी,
वही दिखाते अल्प ज्ञान,
विश्व में दिखलाई महाशक्ति है,
ऐसा अपना हिन्दुस्तान।

जन सुख मन सुख वसुधैव कुटुम्बकम,
उद्येश्य देश का विश्व कल्यान,
कृषि अग्रणी व्यवसाय अग्रणी,
अग्रणी देश में ज्ञान विज्ञान,
रामानुजम भाभा भीमराव,
अब्दुल कलाम सरीखे हैं विद्वान,
यहां राम रहीम दीवाली ईद,
ईश परम क्रिसमस रमजान,
संग हस उत्साह मनाये,
ऐसा अपना हिन्दुस्तान।

 


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About Deshbhakti Poem on india in hindi

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#48 दीवाली

अरे ओ आई.टी. डेवलपर देश के !

कर दो डेवलप ऐप नया,
चौगुनी हो जाए खुशहाली,
बिना पटाखोंं बिना शोर के
प्रकृति सुरक्षित हो दीवाली।

सुप्रीमकोर्ट का फैसला है,
पटाखे शोर बहुत करते हैं,
प्रकृति प्रदूषण फैलाते हैंं,
लोग घायल होनें से नहीं डरते हैं,
प्रकृति बचाओ देश बचाओ,
बचाओ घर घर का पैसा,
त्योहार और परम्परा का भला,
सम्बन्ध इक दूजे का कैसा,

माटी के दिये बनाने को
कुम्भकार खनन करते हैंं,
मत जलाओ दिये तेल से,
सीओटू छोंडा करते हैं,
बन्द करो क्या परम्परा है,
देश माथ चढी है कंगाली.
बस मुख से बोलो हैप्पी दीवाली ।

मत इतने सब दिये जलाना,
ध्यान रहे भारत का न ताप बढाना,
गर्मी से कहीं दियों के भारत के,
कोई ग्लेशियर पिघल न जाए,
विश्व में प्रकृति विनाश का,
भारत माध्यम बन न जाए,
याद रखना हिन्द देश के वासी,
त्राहि त्राहि जल कूट मची है,
नद कूट खनन सब सीमान्त बची हैंं,
छोडोंं बातें संस्कृति परम्परा की,
बस फैलाओ चहुँओर खुशहाली,
मित्र सत्रु सब व्यंग से बोलो- हैप्पी दीवाली ।


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Poem on Diwali festival

आज दीवाली के अवसर पर मेरा सम्बोधन देश के आई टी प्रोफेशनल्स के लिये

Poem on Diwali in hindi the festival of lights. It is a satire hindi poem on Diwali or Dipawali expressing the mirror to the society …….

Poem on Diwali festival

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