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Month: March 2020

#57 एहसास

लफ्जों का दौर बीत गया,
रह गया एहसास,
छोंड भविष्य की अविरल चिन्ता,
और करिये इक एहसास ।

बिना धूल की धूप का,
बिन पहिए की रोड का,
बिना आफिस के बास का,
करिये इक एहसास ।

बिना रेस्ट्राँ खानो का,
बिना फास्टफूड दुकानों का,
व बिना हाल हालातों का ,
करिये इक एहसास ।

माँ बाप के करीब बैठने का,
संग पत्नी खाना खाने का,
बच्चों की बोलियों का,
परिवार में कम होती दूरियों का,
करिये इक एहसास ।

संगी के साथ बीते पुराने लम्हों का,
बचपन की हुई सभी कुटाइयों का,
हर बात किये बहाने का,
बीते उस दौर जमाने का
करिये इक एहसास ।

माँ के नाजुक हाँथों का,
पिता से मिली लातों का,
माँ के बनाए खाने का
रात में कहानी बताने का,
करिये इक एहसास ।

दादा दादी का बने सहारों का,
पुराने टुटे छप्पर में बचपन के दीदारों का,
घर के सामने लगे हुए पेडों पर आम के घरौंदो का,
कूकती हुई कोयल व अन्य सुन्दर आवाजों का
करिये इक एहसास ।

दादा के साथ बाजार और शादियों में जाने की जिद करने का,
डाट खाने के बाद भी उनके कंधे बैठकर गांव गांव घूमने का,
वर्तमान में दौड भाग की जिन्दगी में अपनों को समय न देने
करिये इक एहसास ।

 


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एहसास

A hindi poem on feelings

Explanation of Hindi Poem on feelings,

This is a hindi poem expressing about the thoughts on feelings, written by Pt. Akhilesh Shukla.

This is also published to blogspot. Find more poems of Pandit Akhilesh Shukla by Clicking here—–>> CLICK HERE

#bakhani

hindi poem on feelings.

Therefore Read this Hindi poem on feeling explaining the thoughts about the warm touch. This poem is also available at googleblogspot the link mentioned above.

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#56 भारत और कोरोना के खिलाफ जंग

जग आश लगाए देख रहा,
सायद कोई इक राह मिले,
जनता कर्फ्यू व लाकडाउन से,
कोरोना से सब बच निकले,
पर हम उन्मत्त चूर नशे में,
क्यों भला कोई अपील सुनें,
तुम क्या कहते जग क्या कहता,
चाहे ऐसे कितनें प्रश्न मिलें।

अनुशासन सायद न सीखा,
न कदर करें अनुशासन की,
बात को जरा हम ही न सुनें,
और गलती सारी प्रशासन की,
किसमें हिम्मत जो फरमान सुनाए,
क्या करना ये हमें बताए,
मर्जी अपनी अब मरना है,
जरूरत क्यों हमें सुधरना है,
परिवार की भला खुद क्यों सोंचे,
करे जिसको जो करना है,
आज खाली सडक जो मिली,
सायद ऐसी फिर न मिले।

राजनीति हर रोम में बसी,
वर्दी की कदर नहीं,
क्या क्या संग में हो सकता,
है सायद इसकी खबर नहीं,
उन्मत्त नशे में चूर जायजा-
लेने घर से निकल पडे,
कुछ मजबूर को छोड कर,
सायद यह अवसर फिर न मिले।

 


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Explanation about the hindi poem on corona

This hindi poem on epidemic express the thought about the fight against covid.

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#Corona-warriors

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India Fighting Corona – A hindi poem

Hindi poem on corona, Covid19 a apidimic caused with corona virus. India is fighting corona with corona warriors and trying to escape.

 

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#55 चित- मन का लहरी

 

मन का लहरी सज संवर कर,
स्वच्छन्द जहां विचरण करता,
सार्वभौम जो सत्य जहां पर,
जाने कौन कब कैसे तरता,
चलते फिरते खडे खडे यूं,
बातों बातों अन्तिम मंजिल आ जाती,
जीत पलों को उस छण में फिर,
काहे सोंचता क्या करता क्या न करता,
मन का लहरी सज संवर कर,
स्वच्छन्द जहां विचरण करता।

कर कर्म जहां पर सुविचार संग,
परोपकार की मंसा रख कर,
स्वारथ पहलू सिक्का है दूजा,
प्रतिपल प्रतिक्षण परस्वारथ कर,
ईश्वर भी सब देख रहा है,
मन को ऐसा विश्वास दिला कर,
नेक कर्म से नेक भाव से,
क्यों न अपना घट पुण्य से भरता।

जब चिडिया चुग जाती खेत,
जग पछताता आहें भरता,
दूध का जला फूंक कदम रख,
छाछ मुख लगाने से डरता,
तज माया ऊपर वाले पर,
निःस्वारथ बस करम जग करता,
मन का लहरी सज संवर कर,
स्वच्छन्द जहां विचरण करता।

 


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Poem on Heart

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Explanation of Hindi poem on Mind

यह हिन्दी कविता जो दिल और दिमाग की व्यथा की व्याख्या करने का प्रयास करती है । #Hindi poem on heart #poem on mind #heart listener

A hindi poem on heart and mind

A hindi poem on heart and heart-listener expressing the thought how HEART and mind want to travel fearless. Therefor enjoy the hindi poem bellow.

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#54 दिल्ली दंगा

काश्मीर से हटी क्या धारा तीन सौ सत्तर,
भडकाकर लोगों को दिल्ली पर बरसा दिया पत्थर,
जमाना बेबाक निष्ठुर ढंग से देखता रह गया,
और जमाने ने जमाने को आइना दिखला दिया ।

घरौंदे जब आइने के बने होते हैं,
शदियों से तहजीब जब कंधे ढोते हैं,
संभल कर पग रखना होता है घर से निकल कर,
जमाने को एक बार फिर जमाने नें बतला दिया ।

मशहूर है पत्थर को तबियत से उछाल कर देखो,
तो आसमां में भी सुराख हो सकता है,
देश जाने कब विकास की राह पर चला,
जमाने ने जमाने को ही सर-ए-आम झुठला दिया ।

 


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Explanation of Hindi poem on Delhi Riots

यह हिन्दी कविता एनआरसी और सीएए (NRC and CAA)  के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की व्याख्या करनें का एक प्रयास मात्र है । हिन्दी साहित्य के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में हुई पूर्व की घटनाओं और दिल्ली हिंसा के अन्तर्गत हुई हिंसाओं को एक तराजू में रख कर यदि देखा जाए तो बहुत सारी समानताएं देखनें को मिलती हैं । देश में किस प्रकार का माहौल बन रहा है या बनाया जा रहा है, अत्यन्त दुःखद है । Poem on Delhi #poem on nrc #Poem on caa hindi poems

A Hindi Poem on Delhi Riots

Find various hindi poems. This is a poem on delhi roits expressing thought for the time of oppose of caa and nrc and support of sahinbagh in delhi.

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