#13-ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं। हरियाली मैं तुझे संजोऊँ। पीढी दर पीढी घटती जाए, मूढ कहे तू काम न आए, वो अज्ञानी तुझे मिटाए, अकेला समझाऊँ समझ न आए, मत…
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March 8, 2017
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं। हरियाली मैं तुझे संजोऊँ। पीढी दर पीढी घटती जाए, मूढ कहे तू काम न आए, वो अज्ञानी तुझे मिटाए, अकेला समझाऊँ समझ न आए, मत…
दे दिया एक कदम दुनिया भर को, अगर है दम तो बढ के दिखा एक कदम, राहों में बिछ गयी राहें खुल गए कई चौराहे, निकाल ले तू अपने लिये…
मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे, हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे। राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब, साधो उडती भावनाओं को,…
पानी सरपत से सरकत जाए रे। ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे, पानी सरपत से सरकत जाए रे। दूर तलक देखो कोई आश नहींं है, सूखा सा पडा है…
खयाली पुलाव तो ऐसे पकते, जैसे बीरवल की खिचडी, मन में आई बात जो ठहरी, साफ दिखे हो खुली सी खिडकी। मन के उस एक झरोंखे से, निकले वो किरणें…