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Month: March 2017

#13-ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं

ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं।
हरियाली मैं तुझे संजोऊँ।

पीढी दर पीढी घटती जाए,
मूढ कहे तू काम न आए,
वो अज्ञानी तुझे मिटाए,
अकेला समझाऊँ समझ न आए,
मत बिसरो ऐ दुनिया,
यही हरियाली प्राण बचाए।

काट-काट हरियाली इस जग में,
मत पहुंचाओ प्रकृति नुकशान,
सब एक साथ मिलकर यह बोलो,
हाँथ बढाऊँ तुझे बचाऊँ,
हरियाली मैं तुझे संजोऊँ,
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूँ।

न मानोगे तो बात इक सुन लो,
विनाश भविष्य का होगा,
बच्चों के बच्चे पूछेंगे,
ऐ तात् यह प्रकृति क्या थी,
जो सब कहते थे क्या वो सुनती थी,
जब जिद वो करेंगे हरियाली हमें दिखाओ,

उस पल के लिए इस पल में,
हरियाली मैं तुझे संजोऊँ,
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूँ।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


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#12-एक कदम

दे दिया एक कदम दुनिया भर को,
अगर है दम तो बढ के दिखा एक कदम,
राहों में बिछ गयी राहें खुल गए कई चौराहे,
निकाल ले तू अपने लिये नई राहे हर दम।

दुनिया में थे जब चन्द्र शेखर भगत,
लोग थे उनकी भी आलोचना करते,
अरे छोडा न बापू महात्मा को भी,
आज करते हैं पूजा जिनकी सभी।

करते हैं जिनकी सभी चरण बंदगी,
उस समय वो भी लडते दिखे,
देते दुनिया को बस बढ आगे एक कदम,
दुनिया चलती मिला कदम से कदम।

लोग दिखते हैं खीचते एक दूजे के कदम,
पर न मिलते दिखे कदम से कदम,
सामने कहते पीछे मुकर जाते अपने वादों से,
समाज सेवी है जो पीछे रहते कदम।

आज जरूरत है उनके आगे बढ आगे चलने की,
फिर क्यों है पीछे दुनिया में हम,
दिखा दो दुनिया के एक कदम से भी आगे,
बढने का है हम में पूरा दम।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


एक कदम- हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक संदेश देने का प्रयास किया गया है कि इस दुनिया को यदि एक कदम का इंतजार है तो वह दे दिया गया है अगर दुनिया में दम है उस कदम में कदम मिला कर आगे बढे।

Hindi Poem on step

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#11-एक तरकीब

मोड कितने आते हैं राह में, हैं कितनें चौराहे,
हर जगह संभलना सीखें, न जाएं जिधर मन चाहे।

राह चुनने की सीखो तरकीब, है यह बडी अजीब,
साधो उडती भावनाओं को, है आसान तरकीब।

राह जो दिखे आसान, यूँ ही न चल दो उस पर,
सोंचो आने वाली दिक्कत को, हो जाओगे उस पार,
काम करो जग में कुछ भी, पहले सोंचो उसे दस बार।

पहले यदि करो इतना, मिलेगी तुम्हें आसान राहें,
मोड कितनें आतें हैं राह में, हैं कितनें चौराहे।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


तरकीब हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। जिन्दगी की मंजिल कितनी भी सुस्पष्ट क्यों न हो पर राह इतनी भ्रमित होती है कि राह को बिना मुश्किलों के बिना दिक्कतों के पार कर पाना थोना असहज होता है। इस कविता के माध्यम से इसी बात पर प्रकाश डालनें का प्रयास किया गया है।

Hindi Poem on tarkeeb

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#10-शरद बखानी

पानी सरपत से सरकत जाए रे।
ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे,
पानी सरपत से सरकत जाए रे।

दूर तलक देखो कोई आश नहींं है,
सूखा सा पडा है कोई घास नहीं है,
मन से मैं बोलूं तो विश्वास नहीं है,
शरद की ये वारिस से मन थिरकत जाए रे,
पानी सरपत से सरकत जाए रे।

हर तरफ देखो अब दिखेगी हरियाली,
शरद की वारिस से दौडेगी खुशहाली,
देश में फिर सब आशंक मुक्त होंगे,पर
देश का बच्चा बच्चा शनकत जाए रे,
पानी सरपत से सरकत जाए रे।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


(Sharad Bakhani)

हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से सूखे के बाद पडनें वाले शरद ऋतु का वर्णन किया गया है। शरद ऋतु में सरपत की झाड में पडनें वाली वर्षा की बूदों से एवं उनमें से छू कर निकलनें वाली हवाओं से जो ठण्डक का एहसास होता है वह पूरे शरीर में शिहरन पैदा कर देता है। शरीर का रोम रोम कांप उठता है।

एक तो सूखे के मंजर को देखते हुए जो कप कपी देने वाले एहसास को महसूस किया गया था उसमें यह शिहरन बहुत ही आराम पहुंचाने वाली है।

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#9-खयाली पुलाव

खयाली पुलाव तो ऐसे पकते,
जैसे बीरवल की खिचडी,
मन में आई बात जो ठहरी,
साफ दिखे हो खुली सी खिडकी।

मन के उस एक झरोंखे से,
निकले वो किरणें एक-एक कर,
दिखे दिमाग पटल पर ऐसे,
जैसे पर्दे पर प्रोजेक्टर।

कहीं पुरानी याद हो ताजा,
कई नए विचार भी आएं,
कभी-कभी तो आए गुस्सा,
पल भर में दिल खुश हो जाए।

पल भर में इक दुःख की लहर सी,
दौड सनसनी फैला जाए,
फिर कुछ ऐसा हो जाए,
कि मन कुछ समझ न पाए।

जैसे ही कुछ अच्छा होता,
बन्द हो जाती किस्मत की खिडकी,
खट आंखे खुलती तब दिखता,
खयाली पुलाव बीरबल की खिचडी।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


(Khayali Pulao)

https://www.youtube.com/watch?v=fKHwVE0o8JE

खयाली पुलाव – एक हिंदी कविता

इस कविता के माध्यम से एक जीवन्त उदाहरण पेश करनें की कोशिश की गयी है। किसी भी खयाल में जीना कितना आसान है। और उससे भी ज्यादा आसान है उन खयालों का ताना बाना बुनना। खयालों को जब भी अमल में लाने का प्रयास किया जाता है, वास्तविक रूप मेहनत का समझ में आता है।

Hindi Poem on Khayali pulao

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