#10-शरद बखानी
पानी सरपत से सरकत जाए रे। ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे, पानी सरपत से सरकत जाए रे। दूर तलक देखो कोई आश नहींं है, सूखा सा पडा है कोई घास नहीं है, मन से मैं बोलूं तो विश्वास नहीं है, शरद की ये वारिस से मन थिरकत जाए रे, पानी सरपत से सरकत […]