#17-महिला सशक्तिकरण

समाज की कुरीतियों से अब, लड़ना हमनें सीख लिया, फटेहाल समाज का मुह, सिलना हमनें सीख लिया, हक़ की हो जब बात तो, छीनना हमनें सीख लिया, इस बेदर्द समाज में खुलकर, जीना हमनें सीख लिया। कब तक यूँ दबी कुचली सी, हालत में रहेंगे, जमाने के डर नें सर, नीचे करा रखा था, डरा […]

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