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Tag: nature

#46 पुष्प और मोहब्बत

पुष्प पर बेरहमी दिखा कर,
चल दिये इश्क का इजहार करने,
कम्बख्त इश्क बरकरार रखने को,
चल दिये पु्ष्प बेकार करनें ।
क्या कभी तूनें कहीं पर,
बेरहमी से प्यार पाया है,
पुष्प पर बेरहमी दिखा कर,
क्यों किसी से प्यार जताया है।
जो पुष्प सी नाजुक प्रकृति पर,
यूंँ बेरहमी दिखाएगा,
सोंच कैसे लिया तुमनें,
तुमसे दरिया दिली दिखाएगा ।

 


<<- 47 कटी पतंग सी कहानी मेरी

सम्पूर्ण कविता सूची

#45 आओ चलें प्रकृति की ओर–>


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Poem on Love and flower

आज के समय में प्यार का इजहार करनें को प्रकृति की सुन्दरता को प्रदत्त हरियाली और सुन्दरता का प्रतीक पुष्प की बलि चढाना आम बात हो गई है । पुष्पों का प्रयोग जीवन के हर पहलू में किया जाता है। सायद ही कोई ऐसा क्षण बचा हो कि बिना पुष्प के जीवन का कोई कार्य  हो पाए । इसी पर आधारित यह हिन्दी कविता है जो यह दर्शाती है कि वह व्यक्ति जो अपने प्यार का इजहार करनें के लिए पुष्प पर ऐसी बेरहमी दिखाता है वह भला प्यार को कैसे निभा पाएगा। 

Hindi Poem on Love and Flower

Poem on love and flower is an expression of thoughts about how we use the flower to express love in life which shows cruel nature of human. Read this Hindi poem expressing the thoughts.

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#45-आओ चलें प्रकृति की ओर

आओ चलें प्रकृति की ओर।
करें दोस्ती इस प्रकृति से,
बनें सुदृढ और बनें निरोग,
शील बन्द और प्लास्टिक बोतल,
करना बंद करें प्रयोग,
देह हमारी खुद ही सक्षम,
लड लेगी उन रोगों से नित,
औषधि रसायन खाद्य रसायन
पेय रसायन से दूरी बन,
प्रकृति सुहानी राह निहारे,
बन सक्षम पकडें वह डोर,
आओ चलें प्रकृति की ओर।

प्रकृति हमारी राह बनाये,
राह दिखाये खुद राही बन,
जीत अकेला समझाए खुद,
बन हमदम चले हर पल संग,
प्रकृति को समझो खुद समझाए,
आगे चलते हांथ बढाए,
वसुधैव कुटुम्बकम सदा हंसो का
यह हमको पाठ पढाए,
संग चलेंसब संग हंसें सब,
एक धरा फैली सब ओर,
आओ चलें प्रकृति की ओर ।


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प्रकृति की ओर चलें Hindi poem lets move towards nature

इस हिंदी कविता के माध्यम से जागरूक करनें का एक प्रयास किया गया है। जागरूकता का महज एक ही उद्येश्य है प्रकृति की सुरक्षा तथा प्रकृत सहायक कार्य। प्रकृति को नुकशान पहुँचाने वाले कारकों को खोज कर उन्हें प्रयोग में लानें से परहेज रखना चाहिए इससे प्रकृति के समग्र विकास में सहायता प्राप्त होती है।  प्रकृति है तो इंसान है। यदि प्रकृति का दोहन इसी प्रकार होता रहा तो एक दिन दुनिया में जीवन पर गहरा संकट छा जाएगा।

Hindi Poem on nature

Poem on nature in hindi explains the way we can easily survive and maintain the nature. It shows how we can care the nature and our health.

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#16-गुण्डागर्दी की तमन्ना

गुण्डागर्दी की तमन्ना,
अब हमारे दिल में है,
मारना बस मारना है,
खर्चा उनके बिल में है।
वो पैसे देंगे हम मारेंगे,
नहीं रुकेंगे हाँथ हमारे,
नाम होगा देश में तब,
खर्चा देंगे वो सारे।

बीरप्पन जैसे अनेक,
जो नेताओं को तारें,
लालच बस ये होते हैं,
उनके किस्मत के तारे।
देश में आतंक मचाना,
बस इतना ही आता,
पैसा देता यह नेता,
यही राजनीति सिखाता।

राजनीति की चंगुल में,
ये फंस इस कदर जाते,
एक बार पैर जमनें पर,
ये नहीं कभी उबर पाते,
बस मारते हैं मारते,
और मारते रह जाते।


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हिंदी कविता गुण्डा गर्दी की तमन्ना

इन पंक्तियों के माध्यम से एक दर्पण रख कर प्रतविम्ब को दर्शाने का प्रयत्न किया गया है। देश की युवा पीढी गलत आदर्श मन में रख कर गलत राह में निकलनें को नहीं हिचकती। परन्तु यही पंक्तियाँ समाज की सच्चाई को उजागर करती हैं। समाज इस सच्चाई को झुठला नहीं सकता। सामाजिक सराबोरता इन पंक्तियों को पूरी तरह से बल देती प्रतीत होती है। सामाजिक मतभेद व राजनैतिक लाभ इस प्रकार की प्रवृत्ति को पूर्ण रूप से सहारा देती हैं।

Hindi Poem on Gundagardi

Poem on gundagardi in hindi

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#15-हमारी आश

राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है।

जमाने के शिले नें हमें यूँ हि भटकता छोड दिया,
दो वक्त की रोटी को यूँ हि तरसता छोड दिया,
कभी खाए कभी न खाए भूखे पेट यूँ हि,
पर रोज हमनें भूखों की महफिलें लगाई है,
राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है।

जमाना हमें देख कर यूँ हि विचकता दिखता है,
पास जब हम जाते हैं तो वो थिरकता दिखता है,
हाँथ में देख कर कटोरा यूँ धुत्कारता है हमे,
जैसे उसकी हमसे जन्मों जन्मों की लडाई है,
राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है।

आश पर विश्वास की जो जंग सी चलती रहती,
पेट की वो भूख मिटाने को जंग जो चलती रहती,
दिखते देते हर पल यूँ हि हमको सलाह इस दुनिया में,
पर वास्तव में यह हमारे इम्तिहान की अंगडाई है,
राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


हिंदी कविता

देश में गरीबी भुखमरी और लाचारी हमेसा से ही रही है। इसका आंकलन कभी भी किसी सरकार नें व्यापक रूप से सुधार हेतु नहीं किया सिवाए अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंकने के।

Hindi Poem on My hope

Poem on My hope in hindi

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#2-मन अशांत पक्षी का कलरव।

Mind मन अशांत पक्षी का कलरव।
पतझड़ फैला फूला शेमल,
हलचल फैली फुदक गिलहरी,

कोयल कूके गीत सुहाना,
देख अचंभित प्रकृति का रव ,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

फूल सुशोभित भांति वृक्ष में,
मृदु सुगंध फैली चौतरफा,

खुले तले इस नील गगन के,
भ्रमर भटक पर पाए न रव,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

जीत हार दिल की सब बातें,
चंचल मन बस भटके यूँ ही,

कभी भटक कर आसमान पर,
कभी स्थिर जैसे कोई शव,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

विचलित मन बस खोज में भटके,
भटके खोजे शांति – संतुष्टि,

भटके तांडव शंकर खेलें,
मटके-अटके जैसे भैरव,

मन अशांत पक्षी का कलरव।

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#3 बखानी एक परिचय->>

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<<-#1 माँ 


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(Hindi Poems on Man (Mind) Ashant Pakshi Ka Kalrav)

This hindi poem on man (Mind) as turbulent bird expresses the speed of mind in the world. Find hindi poem on mind.

Explanation of hindi poem on mind:-

This hindi kavita on man (Mind) expresses the thoughts about the turbulent mind. The turbulent mind is one getting the speed which can never controlled and measured. Mind is a word expressing the thoughts. Every weather every moment of life contains various natural events. The natural event like this increase the speed of mind and the way of thinking.

source:- http://bakhani.com/mypoems/un-calmed-bird/

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