Tag: nature
#46 पुष्प और मोहब्बत
- Oct 11, 2019
पुष्प पर बेरहमी दिखा कर, चल दिये इश्क का इजहार करने, कम्बख्त इश्क बरकरार रखने को, चल दिये पु्ष्प बेकार करनें । क्या कभी तूनें कहीं पर, बेरहमी से प्यार पाया है, पुष्प पर बेरहमी दिखा कर, क्यों किसी से प्यार जताया है। जो पुष्प सी नाजुक प्रकृति पर, यूंँ बेरहमी दिखाएगा, सोंच कैसे लिया […]
Read More#45-आओ चलें प्रकृति की ओर
- Sep 22, 2019
आओ चलें प्रकृति की ओर।करें दोस्ती इस प्रकृति से, बनें सुदृढ और बनें निरोग,शील बन्द और प्लास्टिक बोतल, करना बंद करें प्रयोग,देह हमारी खुद ही सक्षम, लड लेगी उन रोगों से नित,औषधि रसायन खाद्य रसायन पेय रसायन से दूरी बन,प्रकृति सुहानी राह निहारे, बन सक्षम पकडें वह डोर,आओ चलें प्रकृति की ओर। प्रकृति हमारी राह […]
Read More#16-गुण्डागर्दी की तमन्ना
- Mar 08, 2017
गुण्डागर्दी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, मारना बस मारना है, खर्चा उनके बिल में है। वो पैसे देंगे हम मारेंगे, नहीं रुकेंगे हाँथ हमारे, नाम होगा देश में तब, खर्चा देंगे वो सारे। बीरप्पन जैसे अनेक, जो नेताओं को तारें, लालच बस ये होते हैं, उनके किस्मत के तारे। देश में आतंक मचाना, […]
Read More#15-हमारी आश
- Mar 08, 2017
राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है। जमाने के शिले नें हमें यूँ हि भटकता छोड दिया, दो वक्त की रोटी को यूँ हि तरसता छोड दिया, कभी खाए कभी न खाए भूखे पेट यूँ हि, पर रोज हमनें भूखों की महफिलें लगाई है, राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश […]
Read More#2-मन अशांत पक्षी का कलरव।
- Feb 27, 2017
Mind मन अशांत पक्षी का कलरव। पतझड़ फैला फूला शेमल, हलचल फैली फुदक गिलहरी, कोयल कूके गीत सुहाना, देख अचंभित प्रकृति का रव , मन अशांत पक्षी का कलरव। फूल सुशोभित भांति वृक्ष में, मृदु सुगंध फैली चौतरफा, खुले तले इस नील गगन के, भ्रमर भटक पर पाए न रव, मन अशांत पक्षी का कलरव। […]
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