#46 पुष्प और मोहब्बत

पुष्प पर बेरहमी दिखा कर, चल दिये इश्क का इजहार करने, कम्बख्त इश्क बरकरार रखने को, चल दिये पु्ष्प बेकार करनें । क्या कभी तूनें कहीं पर, बेरहमी से प्यार पाया है, पुष्प पर बेरहमी दिखा कर, क्यों किसी से प्यार जताया है। जो पुष्प सी नाजुक प्रकृति पर, यूंँ बेरहमी दिखाएगा, सोंच कैसे लिया […]

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#45-आओ चलें प्रकृति की ओर

आओ चलें प्रकृति की ओर।करें दोस्ती इस प्रकृति से, बनें सुदृढ और बनें निरोग,शील बन्द और प्लास्टिक बोतल, करना बंद करें प्रयोग,देह हमारी खुद ही सक्षम, लड लेगी उन रोगों से नित,औषधि रसायन खाद्य रसायन पेय रसायन से दूरी बन,प्रकृति सुहानी राह निहारे, बन सक्षम पकडें वह डोर,आओ चलें प्रकृति की ओर। प्रकृति हमारी राह […]

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#16-गुण्डागर्दी की तमन्ना

गुण्डागर्दी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, मारना बस मारना है, खर्चा उनके बिल में है। वो पैसे देंगे हम मारेंगे, नहीं रुकेंगे हाँथ हमारे, नाम होगा देश में तब, खर्चा देंगे वो सारे। बीरप्पन जैसे अनेक, जो नेताओं को तारें, लालच बस ये होते हैं, उनके किस्मत के तारे। देश में आतंक मचाना, […]

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#15-हमारी आश

#15-हमारी आश

  • Mar 08, 2017

राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश लगाई है। जमाने के शिले नें हमें यूँ हि भटकता छोड दिया, दो वक्त की रोटी को यूँ हि तरसता छोड दिया, कभी खाए कभी न खाए भूखे पेट यूँ हि, पर रोज हमनें भूखों की महफिलें लगाई है, राह से गुजरते हर राहगीर से हमनें आश […]

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#2-मन अशांत पक्षी का कलरव।

Mind मन अशांत पक्षी का कलरव। पतझड़ फैला फूला शेमल, हलचल फैली फुदक गिलहरी, कोयल कूके गीत सुहाना, देख अचंभित प्रकृति का रव , मन अशांत पक्षी का कलरव। फूल सुशोभित भांति वृक्ष में, मृदु सुगंध फैली चौतरफा, खुले तले इस नील गगन के, भ्रमर भटक पर पाए न रव, मन अशांत पक्षी का कलरव। […]

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