#55 चित- मन का लहरी
मन का लहरी सज संवर कर, स्वच्छन्द जहां विचरण करता, सार्वभौम जो सत्य जहां पर, जाने कौन कब कैसे तरता, चलते फिरते खडे खडे यूं, बातों बातों अन्तिम मंजिल…
0 Comments
March 23, 2020
मन का लहरी सज संवर कर, स्वच्छन्द जहां विचरण करता, सार्वभौम जो सत्य जहां पर, जाने कौन कब कैसे तरता, चलते फिरते खडे खडे यूं, बातों बातों अन्तिम मंजिल…