#47 कटी पतंग सी कहानी मेरी
कटी पतंग सी कहानी मेरी! न ठौर है न ठिकाना रुकने का, हवा के झोंके से इधर-उधर हो जाए, बीत गए बचपन के वो दिन, देखते भटकते बीतती जवानी मेरी, कटी पतंग सी कहानी मेरी । हवा का रुख अख्तियार किए, अपनाए अपनी अच्छी बुरी किस्मत को, ढूंढते हुए यूँ हि मन की चाह अपनी, […]
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