#13-ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं। हरियाली मैं तुझे संजोऊँ। पीढी दर पीढी घटती जाए, मूढ कहे तू काम न आए, वो अज्ञानी तुझे मिटाए, अकेला समझाऊँ समझ न आए, मत…
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March 8, 2017
ऐ प्रकृति मैं तुझे संभालूं। हरियाली मैं तुझे संजोऊँ। पीढी दर पीढी घटती जाए, मूढ कहे तू काम न आए, वो अज्ञानी तुझे मिटाए, अकेला समझाऊँ समझ न आए, मत…
पानी सरपत से सरकत जाए रे। ठंडी हवा का झोंका रोंवा कंपकंपाए रे, पानी सरपत से सरकत जाए रे। दूर तलक देखो कोई आश नहींं है, सूखा सा पडा है…