poem on desire

#7- अरमान

हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे, बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे, रह गए इतने पीछे हम वक़्त, बेवक़्त  कदम मिलाने को भागे तो थे। बिछड़ जाने के डर नें जकड रखा था, डर से निकलनें को यूँ क्या करता अकेला, जीत दिल के डर को भांप कर, समन्दर के […]

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