#6-क्या मुझे हक़ नहीं?
ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है? क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में, क्यों आखिर किसी हुद – हुद का डर यूँ सता रहा है, क्या मुझे चैन से सांस लेने का हक़ नहीं? मैं फैली हूँ उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक, समेटें हैं मैंने विविध रंग अपने आगोश […]
#6-क्या मुझे हक़ नहीं? Read More »