हमने तो फेसबुक से दूरी बना ली थी।
अपने में ही एक महफिल सजा ली थी,
पर दुनिया नें कहा ह्वाट्स ऐप और फेसबुक पर आओ,
छोड कर हमें यू मझधार में चल दिये थे सब अलग,
न आकर देखा कि दुनिया ने हमसे अपनी कस्ती फिरा ली थी,
हमने तो फेसबुक से दूरी बना ली थी।
Problem with content loading page will update soon by administrator
–>सम्पूर्ण कविता सूची<–
फेसबुक से दूरी पर एक हिन्दी कविता
इस कविता के माध्यम से इस बात को प्रकट करनें का प्रयास किया गया है कि जब फेसबुक जैसे सोशल मीडिया का प्रयोग करना जब बन्द कर दिया था तो दोस्त लोगों के कहनें पर पुनः वापस आना पडा क्योंकि यह उनकी मांग थी और इस प्लेटफार्म के माध्यम से एक जुडाव बना रहता है । इसी प्रकार ह्वाट्सऐप पर भी यही हाल है । इस प्रकार पुनः फेसबुक या ह्वाट्सऐप पर वापस आना ही पडा । इस लिए इस दुनिया में एक जुडाव के लिए अलगाव होना बहुत जरूरी है । बिना अलगाव किसी जुडाव का कोई आनन्द नहीं है। जिन्दगी में गुस्सा और प्यार दोनों ही जरूरी हैं। रूठना मनाना गुस्सा होना आदि आदि
Hindi Poem on facebook life
Poem on Facebook life in hindi
Facebook link
बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-
Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita
Youtube chanel link
Like and subscribe Youtube Chanel
Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम