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Month: May 2019

#40- भागे तो थे

हम तो तन्हा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे,
रह गये इतने पीछे हम वक्त,
बेवक्त कदम मिलाने को भागे तो थे ।

बिछड जाने के डर ने जकड रखा था,
डर से निकलने को यूं क्या करता अकेला,
जीत दिल के डर को भांप कर,
समन्दर के उन किनारों को झांके तो थे।
समन्दर की लहरों में ताकत वो थी,
जीतनें को उस डर से भीगे तो थे ।

राहों में यूं बढ कर पीछे रह गये,
दिल में अरमान संग चलने के थे,
कोशते हैं खुद को हम पीछे,
तुम बस थोडा आगे तो थे ।

 


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem on reality

Poem on reality

 

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Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

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Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Poem on reality

मन के भावों को प्रकट करनें का एक प्रयास जिसमें शब्दों के माध्यम से नजदीकी व दूरी को दर्शानें का प्रयास किया गया है। मनोभावों के माध्यम से दिल के अरमानों को व्यक्त किया गया है । बिछड जाने के डर ने जकड रखा था, डर से निकलने को यूं क्या करता अकेला, जीत दिल के डर को भांप कर, समन्दर के उन किनारों को झांके तो थे। समन्दर की लहरों में ताकत वो थी, जीतनें को उस डर से भीगे तो थे ।

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