बडी बडी बातें करनें वालों की बात आगर करता हूँ,
तो गुस्सा आता है।
देश का किसान हर पल झूल रहा है,
जवान शरहद पर जूझ रहा है,
इत भीतर बैठ गर कोई अफशोष जताता है,
तो गुस्सा आता है।
देश का बेटा देश की बेटी देश की शान सब दांव लगा,
देश का सीना चीर जूझे किसान सब दांव लगा,
खाली हांथ राजनैतिक रोटी देखता हूं,
तो गुस्सा आता है।
मत लहू पर राजनीति हो,
सुरक्षा सम्मान की साफ नीति हो,
देश की सुरक्षा करनें वालों की सुरक्षा नीति देखता हूं,
तो गुस्सा आता है ।
इतिहास से लेकर चौदह फरवरी उन्नीस तक की सोंचता हूं,
शृद्धा सुमन समर्पित करता हूं सम्मान की रक्षा करने वालों पर,
करता हूं दीप प्रज्वलित अफशोष जतानें को पर,
खुद पर गुस्सा आता है।
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