Skip to content

Month: February 2019

#38-तो गुस्सा आता है

बडी बडी बातें करनें वालों की बात आगर करता हूँ,
तो गुस्सा आता है।

देश का किसान हर पल झूल रहा है,
जवान शरहद पर जूझ रहा है,
इत भीतर बैठ गर कोई अफशोष जताता है,
तो गुस्सा आता है।

देश का बेटा देश की बेटी देश की शान सब दांव लगा,
देश का सीना चीर जूझे किसान सब दांव लगा,
खाली हांथ राजनैतिक रोटी देखता हूं,
तो गुस्सा आता है।

मत लहू पर राजनीति हो,
सुरक्षा सम्मान की साफ नीति हो,
देश की सुरक्षा करनें वालों की सुरक्षा नीति देखता हूं,
तो गुस्सा आता है ।

इतिहास से लेकर चौदह फरवरी उन्नीस तक की सोंचता हूं,
शृद्धा सुमन समर्पित करता हूं सम्मान की रक्षा करने वालों पर,
करता हूं दीप प्रज्वलित अफशोष जतानें को पर,
खुद पर गुस्सा आता है।


<<- 39 कविः – एक परिभाषा

सम्पूर्ण कविता सूची

#37 राज की राजनीति–>


Like and follow my Facebook page about the bakhani hindi poems.

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Like and subscribe Youtube Chanel 

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Poem on Anger

Poem on anger in hindi is Expressing the thoughts about anger of life. A hindi kavita expressing the expression of life. A real life experience

Poem on anger about pulwama attack

This hindi kavita contains the mirror image to the life with anger and real life experience during Pulwama attack and the politics took place in the country.. Hindi poems are in the form of MUKTAK, Which may follow the ras, chhand, alankaar and matra rool or may not be.

Leave a Comment

#37-राज की राजनीति

राज की जो राजनीति करेगा,
वह ज्यादा टिक न पाएगा।

आखिर लकडी की हांडी को,
कब तक भटठी चढाएगा,
दूध से जो जला इस जग में,
मट्ठा फूंक कर पीता है,
जनता को बहला फुसला कर,
आखिर दूर कितना जाएगा,
जन सेवा नहीं जो राज करेगा,
हर शाख उल्लू कहलाएगा,
राज की जो राजनीति करेगा,
वह ज्यादा टिक न पाएगा।

जनमानस की आवाज बुलन्द है,
ढूंढ रहे आनन्द आनन्द है,
नैनों में इक सपना है,
खोज रहे- कौन पराया कौन अपना है,
चेहरे भांति जो सामने आते,
ढूंढ रहे इक मौका है,
जनता मौका सब को देती
पर मौका कौन भुनाएगा,
राज की जो राजनीति करेगा,
वह ज्यादा टिक न पाएगा।

राजनीति से ओत प्रोत अब,
जाति धर्म से दूर भगो,
फूट डालो राज करो की,
कुरीति से अब ऊपर उठो,
इक दूजे की कमियां न गिना कर,
देश विकास की राह चलो,
अन्यथा की इक बात सुनो,
जनता मानस आइना दिखलाएगा,
राज की जो राजनीति करेगा,
वह ज्यादा टिक न पाएगा।

इसकी टोपी उसके सर की,
नीति को बदल डालो,
देश विकास की राह में,
इक- दूजे के कन्धे बाहें डालो,
टांगे इक दूजे की खींचते दिखते,
जन मानस मूरख समझते हो !
राजनैतिक रोटियां सेंकना,
जनमानस नहीं सह पाएगा,
राज की जो राजनीति करेगा,
वह ज्यादा टिक न पाएगा ।

यह देश है किसान का,
यह देश है जवान का,
खेतों में मेहनत कर करके,
उगाते सोना माटी से,
सीमा पर जान गंवा देते जब,
दांव लगे देश सम्मान का,
देश में वही सत्ता होगी जो,
जनमानस अपनाएगा,
राज की जो राजनीति करेगा,
वह ज्यादा टिक न पाएगा।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem on politics of thrown

Poem on politics of thrown

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- 

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel 

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Poem on politics of thrown

Poem on Poet in hindi 

Leave a Comment

#36-बेरोजगारी

बेरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।

राजस्व वसूली अच्छी खासी
सिस्टम में यह चूक है,
रोजगार स्वरोजगार छलावा
हार जीत की दो टूक है,
पढा लिखा से अऩपढ अच्छा,
मेहनत करता हलधऱ अच्छा,
पढ लिख कर कलम है पकडी
असमंजस क्या बुरा क्या अच्छा,
हांथ सफाई मन बहलाई
सब राजनीति सिखाती है,
देख के रंग गिरगिट जैसा
लगता सच्चा जादू टोना है,
बोरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।

बातें बडी भाषण में दिखती
मन विश्वास कर जाता है,
सच्चा झूठा कुछ समझ न आता,
हांथ कुछ नहीं लग पाता है,
वोट वसूली कर जब गद्दी पाते हैं
बातें वायदे सब भूल जाते हैं,
कुछ न कर बस इक दूजे की,
व सिस्टम की कमी बताते हैं,
पर फिर भी अपनी उपलब्धि को
बार बार गिनाते हैं,
व लालीपाप सा दिखलाकर जग में,
पकडाते कच्चा खिलौना हैं,
बोरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।

क्यों लचर व्यवस्था को दोष देते
व्यवस्था आखिर किसकी है,
जिस सिस्टम की गुहार लगाते
जिम्मेदारी किसकी है
क्यों नीति नहीं नेतृत्व नहीं,
हर हाल युवा बेहाल है,
अपनी पाती मेज ठोंक कर मनवाते,
खुद बने जाते मालामाल है,
गोल मुट्ठा हांथ में रख कर
युवा को पकडाते तलवार तिकोना है,
आखिर संभल कर क्यों नहीं समझते,
यह कृत्य बडा घिनौना है,
बोरोजगारी का यह आलम,
दुनिया का हर कोना है,
पढो लिखो फिर दर दर भटको
युवाओं का यह रोना है ।

 


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem on Unemployment

Poem on Unemployment

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- 

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel 

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Poem on Unemployment

Poem on unemployment in hindi 



 

Leave a Comment

#35-जीवन संघर्ष

कहते हैं कहने वाले कि,
जीवन को संघर्ष न मानो,
बहुत कुछ कर सकते हो,
तुम अपने को पहचानो,
पहचानूं भला कैसे अपने को,
कुछ सुझाया नहीं मुझे,
क्या क्या कर सकता हूं,
किसी ने बाताया नहीं मुझे,
बस कही इक बात कि
बात दिल की मानो
कहते हैं कहने वाले कि,
जीवन को संघर्ष न मानो।

 


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem on struggling life

Poem on struggling life

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- 

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel 

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Kavita on struggling life

Kavita on struggling life in hindi 

इस हिन्दी कविता के माध्यम से स्पष्ट करनें का प्रयास किया गया है कि इस दुनिया में जितनी मुह उतनी बातें होती हैं । परन्तु जीवन में संघर्ष का तात्पर्य और सही रूप वही जान पाता है जो वास्तविक संघर्ष कर जीवनयापन करता है। जीवन के विभिन्न पहलुओं में जीवन पर्यन्त विभिन्न प्रकार की यातनाएं मिलती हैं जिनको हर किसी को कभी न कभी किसी रूप में झेलना अवश्य पडता है।



 

Leave a Comment

Get 30% off your first purchase

X