#8-स्वार्थ

घात लगाए बैठा है, इससे तू बच के रहना, हावी हो जाएगा तुझ पर, किसी धोखे में तू न रहना, सचेत किए देता हूँ अभी से, फिर किसी से न…

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poem on desire
dil ke armaan a hindi poem on desire

#7- अरमान

हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे, बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे, रह गए इतने पीछे हम वक़्त, बेवक़्त  कदम मिलाने को भागे तो थे।…

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Bakhani Hindi Poems

#6-क्या मुझे हक़ नहीं?

ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है? क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में, क्यों आखिर किसी हुद – हुद  का डर यूँ सता रहा है,…

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Bakhani Hindi Poems

#5-विज्ञान – एक अभिशाप

दुनिया में रहनें वालों ने, मौत की सेज सजाई, प्रतिदिन यह सेज सुन लो, लेती है अंगड़ाई। प्रति छण प्रति मानव, करे मौत से लड़ाई, दुनिया में रहनें वालों नें,…

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