Hindi Poem on corona palayan in india

#58 पलायन

पलायन आशियाना संभालनें, आशियाना छोंड कर निकले, फैली महामारी ऐसी कि, आशियाने की ओर निकले । जिस विज्ञान का गुरूथ था, मेहनत का शुरूर था, व्यवस्था हो गई ऐसी, कि सब नंगे पैर निकले । दो वक्त की रोटी व्यवस्थित, थे व्यवस्थित दिन कार्य, पर हालात ऐसे बन गए, कि अब भूखे पेट निकले । […]

#58 पलायन Read More »