भारत में कोरोना (corona-covid19 disease in Bharat) का संकट
इस कोरोना काल में एक कहानी चिरतार्थ होती दिख रही है।
भाग-1
जिसमें एक दम्पत्ति एक गधे को लेकर चले जा रहे थे। तब कुछ बुद्धिजीवी मिले और कहते हैं कि बडे मूर्ख हो तुम लोग गधा लिए हो और खुद पैदल चल रहे हो। तो यह सुन कर पत्नी यह कह कर आप पति परमेश्वर हो आप बैठ जाओ, पैदल चलती है व खुद पति बैठ कर चलने लगता है।
भाग2
आगे चल कर पुनः बुद्धिजीवी मिल जाते हैं और देख कर हंसते हैं और कहते हैं देखो तो भला खुद गधे पर बैठा है बेचारी पत्नी को पैदल चला रहा है। यह सुन कर पत्नी को गुस्सा आता है। वह पति को गधे से उतार कर खुद बैठ जाती है और आगे चल देते हैं।
भाग3
कुछ दूर चलनें पर फिर लोग बात करना प्रारम्भ कर देते हैं कि देखो जोरू का गुलाम खुद पैदल चल रहा है व अपनी पत्नी को गधे पर बैठाए चल रहा है। यह सुन कर दोनो दम्पत्ति उस गधे पर बैठ गए और चलने लगे।
भाग4
फिर कुछ दूर चलनें पर कुछ लोग उन्हें देख कर कहते हैं कितने निर्दयी हैं एक गधे पर दो लोग बैठे हैं बेचारा गधा बेजुबान है सो उस पर कहर ढा रहे हैं। यह सुन कर वह दम्पत्ति फैसला करते हैं। आपस में बात करते हैं कि हमनें सभी तरकीबें लगा ली लोग बात करना बन्द ही नहीं कर रहे अब तो बस एक ही तरीका बचा है चलो अब इस बेचारे गधे पर रहम करते हैं काफी दूर से यह हमें ढो रहा है यह थक गया होगा। इतना कह कर पति गधे को कंधे पर लाद कर आगे चल देता है।
सारांश और उपसंहार
आगे चल कर लोग फिर हंसना प्रारम्भ कर देते हैं। इन सब से परेशान दोनो पति पत्नी कुछ दूर और चलते हैं और उनकी मुलाकात एक बुद्धिजीवी से होती है। उनसे वो थक हार कर प्रश्न करते हैं कि क्या करें और कैसे करें कि लोग नुक्स निकालना छोंड दे। तब वह बुद्धिजीवी कहता है कि लोगों की सुनोगे तो यही हाल होगा। अपने विवेक का प्रयोग करो। यह सुन कर दोनों पति पत्नी समाज और बुद्धिजीवियों की बातों को अनसुना करते हुए गधे पर बैठ कर अपने गंतव्य को चल देते हैं।
What to do What not to
आज इस कोरोना (corona) काल में अर्थशास्त्र के ज्ञाता, देश की सभी राज्य सरकारें, देश की केन्द्र सरकार, देश के पक्ष विपक्ष के सभी नेता दल एवं देश (Bharat) के बुद्धिजीवियो आज देश का एक आम नागरिक आपसे एक प्रश्न पूछता है, क्या आपके पास उस प्रश्न का उत्तर है?
उपज
देश (Bharat) में जब कोरोना (corona- covid 19) संक्रमण के चलते लाकडाउन की घोषणा हुई सभी को देश के अर्थजगत की चिन्ता सताने लगी, जनता को किसी तरह संघर्ष कर रही थी लेकिन जो लोग अपने घरों में एसी के अन्दर बैठे थे उन्हें बहुत चिन्ता हो रही थी कि क्या होगा देश का ऐसे देश बन्द करना कहाँ की तानाशाही है आदि आदि प्रश्न आए दिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म में देखने को मिल जाते थे। आए दिन ऐसे पोस्ट मिल जाते थे जिससे लोग भडक कर रोड पर चलने को मजबूर हुए। देश के अन्दर देश के नागरिकों को प्रवासी की संज्ञा दी गयी और चलनें मरनें पर मजबूर किया गया। यह ठीकरा मैं देश की गन्दी राजनीति और देश के बुद्धिजीवियों के सर फोडता हूँ। इस पर देश की मीडिया नें भी कोई कोर कसर नहीं छोडी।
माननीय सांसद, वायनाड संसदीय क्षेत्र, केरल राज्य से प्रश्न
आज प्रश्न राहुल गांधी*, जो कि देश (Bharat) के केरल राज्य के वायनाड संसदीय क्षेत्र से माननीय सांसद हैं उनसे भी है कि जब देश में कोरोना (corna) के चलते लाकडाउन था तब उन्हें देश के लोगों की स्वास्थ्यपरक चिन्ता न हो कर देश विदेश के विभिन्न अर्थजगत के ज्ञाताओं से वीडियो कान्फ्रेंशिग कर देश के नागरिकों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे थे और अब यदि लाक डाउन खुल गया है तो देश के नागरिक जो रोज हजारों की संख्या में संक्रमित हो रहे हैं उनके स्वास्थ्य के लिए किससे वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर रहे हैं? क्या राजनीति से बढ कर देश की जनता का हित आपकी प्राथमिकता सूची में है भी या नहीं।
विभिन्न राज्य सरकारों से प्रश्न
देश के विभिन्न राज्य सरकारें आज बताएं जब लाकडाउन में देश में संक्रमण का स्तर इतना कम था तब इन्होने राज्य की अर्थव्यवस्था संभालने के लिए मधुशाला खुलवाने के लिए हर संभव प्रयास दबाव बनाया। आज जब सक्रमण का स्तर इतना ज्यादा है क्या वो अब कुछ और कदम उठाएंगे कुछ सोंचा हुआ है या सिर्फ अर्थव्यवस्था ही जिम्मेदारी है उनकी बांकी जनता खुद की व्यवस्था खुद करे। आपने गरीब मजदूर व मजबूर को रोड में पैदल चलनें के लिए छोंड दिया राजनीतिक स्तर पर ठीकरा केंद्र सरकार के सर फोड दिया। यदि केंद्र सरकार केंद्रित स्तर पर देश का संचालन करने के लिए है तो आप भी राज्य स्तर पर संचालन के लिए ही चुने गये हैं। आपकी अदूरदर्शिता से हर राज्य का जनमानस परेशान है।
केन्द्र सरकार से प्रश्न
देश की जनता नें भारत देश (Bharat) को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए केंद्र में आपको बैठाया है। देश हित के फैसले लेने में इतनी हिचकिचाहट क्यों दिखती है। उपरोक्त कहानी के आधार पर यदि कोई चलता है तो परेशान ही रहता है। तथाकथित तौर पर बुद्धिजीवियों के पास घर बैठ कर कोई काम है नहीं इसलिए ज्ञान झाडते रहते हैं। यदि किसी भी बात का चतुर्दिशीय समाधान पूंछा जाये तो उनके पास नहीं होगा। जो दिखावा करते हैं करनें दो।
ऐसी स्थिति में जो भारत में कोरोना संक्रमण (corona infection in bharat) की स्थिति बनी है उससे निपटने के लिए आपके पास कोई मास्टर प्लान है या सब जनता भरोसे ही छोंड रखा है। किसी भी राज्य को अपनी राज्यपरक राजनीति से ऊपर उठ कर सोंचने की फुरसत नहीं है। केंद्र के रूप में आप इस संक्रमण से निबटने के लिए क्या तरकीब अपना रहे हैं। या फिर ऊपर की कहानी के आधार पर ही बस जो जैसा बोल रहा है वैसा करने लग जा रहे हैं।
Sarthak sargarbhit laghu katha ka vartmaan pariprekshya me sachitra chhyankan
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