#53 स्मृति

#53 स्मृति

  • Feb 21, 2020

क्यों स्मृति यूँ सताती। जग में न कोई वैरी दूजा, पल में रुलाती पल में हसाती, पल में मजबूर सोंचनें को करती, हर पल यह एहसास जताती, क्यों स्मृति यूं सताती। कहती खुद को जीनें का जरिया, झील समन्दर से भी गहरी यह दरिया, बिन घुंघरू बाजे यह झांझर, चुप रह कर भी शोर मचाती, […]

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